दिव्यांग की मौत पर कार्रवाई नहीं, आश्वासन दे पीड़ितों को करा दिया संतुष्ट
घर से बाहर बैठे दिव्यांग 35 वर्षीय रणधीर को इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। पीड़ित परिवार ने मौत का आरोप हवलदार पवन कुमार और उसकी पत्नी पर लगाया।
जागरण संवाददाता करनाल : घर से बाहर बैठे दिव्यांग 35 वर्षीय रणधीर को इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। पीड़ित परिवार ने मौत का आरोप हवलदार पवन कुमार और उसकी पत्नी पर लगाया। सोमवार की शाम चार बजे पीड़ितों ने आरोपित पुलिसकर्मी के घर के बाहर शव रख इंसाफ की मांग की। रात 12 बजे आरोपितों के खिलाफ हत्या का मामला भी दर्ज हो गया, लेकिन पीड़ित आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे। पीड़ितों ने सदर पुलिस स्टेशन का घेराव भी किया। पीड़ितों ने कहा कि आरोपित पुलिसकर्मी को बचाने की कोशिश की जा रही है। कार्रवाई के बजाय पुलिस अधिकारी उन्हें समझाते रहे। जब शाम तक उनकी सुनवाई नहीं हुई तो नाउम्मीद और निराश परिजनों ने आखिरकार शाम सात बजे रणधीर का अंतिम संस्कार कर दिया। उन्होंने फिर दोहराया शायद ही इस मौत पर उन्हें इंसाफ मिलेगा? इससे पहले दो डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। परिजनों का दावा है कि मृतक के शरीर पर चोट के 11 निशान मिले हैं। डीएसपी बलजिद्र सिंह का कहना है कि मृतक के भाई की शिकायत पर हवलदार व उसकी पत्नी के खिलाफ भादसां धारा 302 व 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है। जांच के बाद ही गिरफ्तार किया जाएगा।
पीड़ितों के आरोप: पहले पीटा, फिर उठा थाने ले गया आरोपित
आरकेपुरम पार्ट टू में मंगलपुर निवासी रणबीर सिंह ने बताया कि उसके भाई को शनिवार की रात को उसका बेटा आरोपित पुलिसकर्मी के घर के बाहर बैठा था। तभी उसे उन्होंने चोर करार देते हुए बुरी तरह से पीटा। आरोप है कि उसे थर्ड डिग्री दी गई। उसे करंट लगाया गया। इससे रणधीर की हालत खराब हो गई। आरोपित बाद में उसके भाई को सदर पुलिस स्टेशन में लेकर आए। इसी बीच उसके भाई की हालत नाजुक होती चली गई। इसे देख आरोपित घबरा गए, वह रणबीर को गंभीर हालत में घर छोड़ गए। सोमवार को चार बजे रणधीर की मौत हो गई।
पांच साल पहले पेड़ से गिरकर टूट गई थी टांग बाह
मृतक के भाई ने बताया कि पांच साल पहले रणधीर की पेड़ से गिरकर टांग व बाह टूट गई थी, इसमें रॉड डाली थी। वह कुछ दूर चलने के बाद ही थक जाता था। घटना की रात भी वह इसी तरह से थक कर बैठा था। वह बस रहम की भीख मांगता रहा।
पीड़ितों का सवाल: क्या कार्रवाई इतनी मुश्किल है
परिजनों बताया कि दो दिन से शव को उठाए घूम रहे हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। सदर थाना एसएचओ बलजीत सिंह, डीएसपी बलजिद्र सिंह व वीरेंद्र सिंह सैनी उन्हें उचित कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं। लेकिन आरोपितों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरोपित क्योंकि पुलिसकर्मी जो ठहरा इसलिए उनके भाई की मौत पर कार्रवाई नहीं आश्वासन दे उन्हें चुप कराया जा रहा है।
इसलिए पुलिस से लोगों का यकीन हो रहा कम
सोमवार को ही थाना निसिग के एसएचओ सुभाष चंद को पांच हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए विजिलेंस की टीम ने गिरफ्तार किया है। उस पर आरोप है कि झगड़े के मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद भी बांसा निवासी बलवान सिंह से सुभाष चंद ने रिश्वत के लिए दबाव बनाया था। पुलिस की मनमानी का यह अकेला मामला नहीं है। इससे पहले युवक साहिल की मौत के मामले में उसके पिता किस्मत सिंह ने डीएसपी वीरेंद्र सैनी पर आरोपित पक्ष से मिलीभगत का आरोप लगाया था। इसी साल 12 अप्रैल को आइटीआइ के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर प्रिसिपल और स्टाफ समेत छात्राओं को पीटने का आरोप लगा था।