Move to Jagran APP

धान कटाई के बाद खेतों में न जलाएं पराली : डीसी

- उपायुक्त ने कहा पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कस्टम हायरिग सेंटर से कृषि यंत्र लेकर फसल अवशेषों को खेतों में ही करें समायोजित

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 06:00 AM (IST)
धान कटाई के बाद खेतों में न जलाएं पराली : डीसी
धान कटाई के बाद खेतों में न जलाएं पराली : डीसी

- उपायुक्त ने कहा, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कस्टम हायरिग सेंटर से कृषि यंत्र लेकर फसल अवशेषों को खेतों में ही करें समायोजित जागरण संवाददाता, करनाल

loksabha election banner

खरीफ की मुख्य फसल धान कटाई सीजन के चलते डीसी निशांत कुमार यादव ने रविवार को जिला के किसानों के लिए एक अपील जारी की। उन्होंने कहा कि वे फसल कटाई के बाद खेतो में बची पराली या अवशेषों को न जलाएं। पर्यावरण तथा नई पीढ़ी को सुरक्षित व स्वस्थ बनाने के लिए यह अति जरूरी है।

उन्होंने बताया कि पराली जलाने से वातारण धुएं से भर जाता है। इससे सांस लेने में दिक्कत के साथ-साथ हवा जहरीली हो जाती है। खेतों में आग से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर काफी बढ़ जाता है। इससे सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, दमा और कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं। उन्होंने इसके दुष्परिणामों को लेकर कहा कि प्रदूषण से प्रकृति के मौसम में बदलाव आ जाता है, जिससे बारिश में कमी आना स्वाभाविक है। दूसरी ओर मिट्टी में पाए जाने वाले मित्र कीड़ों की कमी से जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है और इसकी ऊपरी सतह बंजर हो जाती है। परिणामस्वरूप किसान को अगली फसल लेने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जिससे खाद, बीज व दवाइयों का खर्चा बढ़ जाता है। -पराली का करें सदुपयोग

डीसी ने कहा कि फसल अवशेषों को न जलाकर उसके कई उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें पराली को मशीन से काटकर पशुओं का चारा बनाना, गत्ता मिल में बेचकर धन कमाना, कम्पोस्टिग करके जैविक खाद बनाना और जीरो टिलेज मशीन से गेहूं की सीधी बिजाई करना शामिल है। इससे पराली कुछ ही समय में स्वत: नष्ट हो जाती है, जो एक बेहतर जैविक खाद है। इससे राष्ट्रीय कृषि नीति का पालन भी सुनिश्चित होता है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष और इस वर्ष में करनाल जिला में ऐसे 419 कस्टम हायरिग सेंटर स्थापित हो चुके हैं। कृषि बैंक कहे जाने वाले सीएससी. में बेलर, सुपर सीडर, जीरोटिल सीड ड्रिल, चोपर, मल्चर, रोटरी स्लेशर, श्रब मास्टर, रिवर्सिबल बोर्ड प्लो, क्रॉप रीपर तथा हैपी सीडर जैसे 1200 कृषि यंत्र उपलब्ध रहेंगे। सरकार की ओर से इन यंत्रों की खरीद पर 50 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जा रहा है। इसके तहत जिले में व्यक्तिगत श्रेणी में करीब 8 करोड़ और सीएचसी में 10 लाख रुपये की सब्सिडी किसानों को दी जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.