Move to Jagran APP

खेतों का पानी सुखाकर करें तना गलन बीमारी की रोकथाम

धान की फसल में लंबे समय तक गहरा पानी भरा रहने से पौधों का फुटाव होने के साथ ही तना गलन बीमारी आती है। जिससे धान के पौधे का तना गलने से बाहरी पत्तियां सूखनी शुरू हो जाती हैं। कुछ ही दिनों में पूरा पौधा खत्म हो जाता है। इससे पैदावार प्रभावित होती है। यह जानकारी एडीओ डॉ. राधेश्याम गुप्ता ने दी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 08:23 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 01:46 AM (IST)
खेतों का पानी सुखाकर करें तना गलन बीमारी की रोकथाम
खेतों का पानी सुखाकर करें तना गलन बीमारी की रोकथाम

संवाद सूत्र, नि¨सग : धान की फसल में लंबे समय तक गहरा पानी भरा रहने से पौधों का फुटाव होने के साथ ही तना गलन बीमारी आती है। जिससे धान के पौधे का तना गलने से बाहरी पत्तियां सूखनी शुरू हो जाती हैं। कुछ ही दिनों में पूरा पौधा खत्म हो जाता है। इससे पैदावार प्रभावित होती है। यह जानकारी एडीओ डॉ. राधेश्याम गुप्ता ने दी।

loksabha election banner

उन्होंने बताया कि फसल में बीमारी का एक मुख्य कारण यूरिया खाद का अधिक इस्तेमाल भी है। जिससे धान का पौधा नरम पड़ने से निरंतर बीमारियां लगने की संभावना बनी रहती है।

उन्होंने बताया कि बीमारी के शुरुआत में धान के पत्ते पीले हो जाते हैं। बाद में धीरे-धीरे पूरा पौधा ही सूख जाता है। बीमारी की रोकथाम के लिए किसान सबसे पहले खेत का पानी सुखाकर पौधों की जड़ों में हवा लगने दें। इसके साथ हल्के पानी में फफूंदीनाशक दवा का इस्तेमाल करें। कारबैडाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी नामक दवा को रेत में मिलाकर छिड़काव करें। उसके बाद खेत में कई दिन तक ¨सचाई न करें। बीमारी नियंत्रित हो जाएगी।

उन्होंने बताया कि फसल में किसी भी प्रकार की बीमारी आने पर तुंरत अपने नजदीकी कृषि कार्यालय में ग्रसित धान का पौधा लेकर पहुंच अधिकारियों से परामर्श लें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.