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जीवन की कला सीखना जरूरी : दिव्यानंद

सनातन धर्म गीता भवन की ओर से तीन दिवसीय 68वां महान यज्ञ सम्मेलन एवं भंडारे का रविवार को समापन हो गया है। महान यज्ञ में स्वामी दिव्यानंद महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी सुभाष बापू महाराज ने सनातन धर्म पर प्रवचन कर श्रद्धालुओं का मार्ग प्रशस्त किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 07:06 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 07:06 AM (IST)
जीवन की कला सीखना जरूरी : दिव्यानंद
जीवन की कला सीखना जरूरी : दिव्यानंद

संवाद सहयोगी, घरौंडा : सनातन धर्म गीता भवन की ओर से तीन दिवसीय 68वां महान यज्ञ, सम्मेलन एवं भंडारे का रविवार को समापन हो गया है। महान यज्ञ में स्वामी दिव्यानंद महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी सुभाष बापू महाराज ने सनातन धर्म पर प्रवचन कर श्रद्धालुओं का मार्ग प्रशस्त किया।

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सनातन धर्म मंदिर में विभूषित गीता व्यास स्वामी दिव्यानंद महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी सुभाष बापू महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि जीवन जीने की भी एक कला है, पहले इस कला को खुद सीखो, फिर दूसरों को श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए प्रेरित करें। जब हम खुद जीवन जीना सीख लेंगे, तभी दूसरों को जीने देंगे। सबसे पहले ज्ञान और विवेक के साथ अपना जीवन जीए, फिर दूसरों को जीवन जीने की कला बताएं।

उन्होंने कहा कि ज्ञानी वही होता है जो पहले अपने घर को जलने से बचाएं और उसके साथ दूसरों की घर की आग बुझाएं। विधायक हरविद्र कल्याण ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।

इस मौके पर विशिष्ठ अतिथि हरीश अरोड़ा, गुलशन जुनेजा, प्रधान हरबंस चुघ, शंकरलाल नारंग, भीम सेन चुघ, इंद्र सिंह, उमेश, गुलशन जुनेजा, नरेश पंवार, कृष्णलाल नारंग मौजूद थे।


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