आपदा प्रबंधन फेल ना पर्याप्त संसाधन और ना ही एक्सपर्ट
घरौंडा के गांव हरिसिंहपुरा में बच्ची शिवानी के बोरवेल में गिरने पर प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए।
यशपाल वर्मा, करनाल
घरौंडा के गांव हरिसिंहपुरा में बच्ची शिवानी के बोरवेल में गिरने पर प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। इस हादसे ने एक बात और साबित कर दी कि प्रशासन के पास न तो आपदा से निपटने के पर्याप्त साधन हैं और न ही विशेषज्ञ। आपदा प्रबंधन टीम में अगर विशेषज्ञ होते तो हादसे के बाद एनडीआरएफ टीम का इंतजार नहीं करना पड़ता। जिला स्तर पर जरूरत के अनुसार सामान न होने के कारण बचाव कार्य देरी से शुरू किया गया। बीती रात करीब नौ बजे सूचना के बाद स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंच गया। देररात पहुंची एनडीआरएफ की टीम ने बचाव कार्य शुरू किया। प्रशासनिक अधिकारी इस विषय में फैसला लेने से बचते नजर आए। एनडीआरएफ की टीम से निर्देश मिलने के बाद ही जेसीबी से खोदाई शुरू की। इससे पहले किसी को समझ नहीं आ रहा था कि ऑपरेशन कहां से शुरू किया जाए।
पहली ही घटना में प्रबंधन फेल
घरौंडा के गांव हरिसिंहपुरा में बोरवेल में बच्ची के गिरने की पहली घटना थी। प्रदेश के कई हिस्सों में इस तरह के हादसे हो चुके हैं, लेकिन आज तक प्रशासन ने इससे सबक नहीं लिया। मासूम की जिदगी बचाने के लिए ग्रामीणों ने ही अपनी पूरी कोशिश की। इसके अलावा, खुले बोरवेल पर प्रशासनिक अधिकारी गंभीर नहीं हैं। जिस बोरवेल में शिवानी गिरी है, वह पिछले करीब चार साल से खुला था, लेकिन किसी ने इस बंद करना जरूरी नहीं समझा। बोरवेल को सुरक्षित करने के डीसी के निर्देशों की परवाह नहीं की गई और ग्रामीण स्तर पर भी अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। हादसे के बाद निकाल रहे हल
जिला राजस्व अधिकारी शामलाल का कहना है कि खुले पड़े बोरवेल को बंद करने के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं। प्रशासनिक स्तर पर हरिसिंहपुरा के जैसे हादसे से बचने के लिए मुख्य अधिकारियों से बैठक कर हल निकाला जाएगा। आपदा प्रबंधन विभाग के पास 20 लोगों की टीम है जोकि किसी भी हालात से लड़ने के लिए सक्षम है। बोरवेल में से बच्चे को निकालने के लिए एक्सपर्ट का होना जरूरी है। इसके लिए समय रहते उच्चाधिकारियों को संपर्क कर मामले की जानकारी दी गई।