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फोन के माध्यम से किया बीमारियों का निदान, दिए स्वस्थ जीवन जीने के टिप्स

जागरण संवाददाता करनाल कमर का दर्द कुल्हों टांग या पंजों तक जाना रीढ़ में डिस्क मन

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 07:54 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 07:54 AM (IST)
फोन के माध्यम से किया बीमारियों का निदान, दिए स्वस्थ जीवन जीने के टिप्स
फोन के माध्यम से किया बीमारियों का निदान, दिए स्वस्थ जीवन जीने के टिप्स

जागरण संवाददाता, करनाल : कमर का दर्द, कुल्हों, टांग या पंजों तक जाना, रीढ़ में डिस्क, मनकों के नीचे नसों का दबना, टांगों में झनझनाहट, सूनापन या कमजोरी जैसे केसों को 90 प्रतिशत तक दवाइयों से कवर किया जा सकता है। कुछ लोगों का दूरबीन से आपरेशन किया जा सकता है। आपरेशन के बाद जनजीवन सामान्य हो जाता है। मंगलवार को हैलो जागरण इवेंट के तहत विर्क अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. बलबीर सिंह विर्क व ब्रेन एवं स्पाइन सर्जन डा. अश्विनी कुमार ने फोन के माध्यम से मरीजों को परामर्श दिया और उन्हें स्वस्थ जीवन जीने के लिए व्यायाम बताए। इस इवेंट के तहत पाठकों ने फोन के माध्यम से अपनी बीमारी के बारे में बताया। इसे अच्छी तरह से जानने के बाद चिकित्सकों ने उनका उचित मार्गदर्शन किया। डा. अश्विनी कुमार ने एक मरीज से बातचीत करते हुए ब्रेन ट्यूमर को लेकर स्पष्ट किया कि सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं हैं। सूक्ष्मदर्शी से आपरेशन कर इसका इलाज किया जा सकता है। यह एकमात्र इलाज है। इसका जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी इलाज करना चाहिए। ट्यूमर दोबारा ना हो इसके लिए रेडियो, कीमो थैरेपी ली जानी चाहिए। उन्होंने एक मरीज से बातचीत में सर्वाइकल को लेकर कहा कि गर्दन दर्द, कंधों या हाथों में आना, झनाझनाहट होती है तो व्यक्ति को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। दवाइयों व फिजियोथैरेपी से इसका इलाज संभव है।

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फोटो---22 नंबर है। फास्ट ट्रैक नी रिप्लेसमेंट बनी लोगों के लिए संजीवनी : डा. दक्ष शर्मा

हैलो जागरण कार्यक्रम का हिस्सा बने ज्वाइंट रिप्लेसमेंट एंड आर्थोपेडिक ट्रामा सर्जन डा. दक्ष शर्मा ने कहा कि इस समय फास्ट ट्रैक नी रिप्लेसमेंट टेक्नालाजी लोगों के लिए संजीवनी बनी हुई है। जिस दिन सर्जरी होती है, उसी दिन मरीज पैदल चलने लगता है। यानि सर्जरी के लिए लोगों को ज्यादा लंबे बैड रेस्ट की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि शायद ही हरियाणा में इस तकनीक से घुटनों के रिप्लेंसमेंट होते हों। लोगों में एक डर रहता है कि घुटना बदल जाने के बाद कहीं वह दोबारा ना चल पाएं, लेकिन इस भ्रांति को दूर करना चाहिए। यदि घुटनों में दिक्कत है तो उसको ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहिए। विदेशों में लोग पहली या दूसरी स्टेज में घुटनों का आपरेशन करा लेते हैं। लेकिन हमारे देश में तीसरा या अंतिम स्टेज में ही आपरेशन कराने पहुंचते हैं। तब तक केस गंभीर हो जाता है। जब हमारे पास सफल सर्जरी की सुविधा है तो फिर लोग क्यों सालों से दर्द से जूझें। इस तकनीक से ज्यादा से ज्यादा दो सप्ताह का रेस्ट चाहिए।

पाठकों ने चिकित्सकों को बताया अपना मर्ज

इवेंट के तहत सुबह 11 बजे पाठकों के फोन आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो दोपहर 12 बजे तक चलता रहा। पाठकों ने एक के बाद एक करके चिकित्सकों को फोन के माध्यम से अपनी समस्या बताई। चिकित्सकों ने पाठकों की बातों को बेहद गौर सुना और इसके बाद उन्हें उचित परामर्श दिया। शहरवासी सरोज बाला ने कूल्हे में दर्द रहने की समस्या बताई तो उन्हें सलाह दी गई कि वह ज्यादा वजन नहीं उठाएं। इसके साथ ही उन्हें कुछ व्यायाम बताए गए। सेक्टर आठ निवासी कृष्णा चौहान ने सर्वाइकल की समस्या बताई तो चिकित्सकों ने उन्हें इसके लिए कुछ व्यायाम बताए। घरौंडा निवासी लक्ष्मीचंद ने डिस्क प्रोब्लम, सालवन गांव निवासी पंकज ने गर्दन में दर्द, सेक्टर 13 निवासी प्रेम भाटिया ने जोड़ों में दर्द, सेक्टर 13 निवासी मेवा राम ने सिरदर्द, सेक्टर 32 निवासी पावनी ने पूरे शरीर में दर्द, बसंत विहार निवासी राकेश ने कमर दर्द, सेक्टर सात निवासी रोहित ने माइग्रेन, शहरवासी वंदना ने हाथ व पैरों में सूनेपन की शिकायत बताई। इस पर चिकित्सकों ने उन्हें उचित परामर्श दिया।


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