भाईचारा मजबूत, अति संवेदनशील बूथ का दंश झेल रहा बल्ला
करनाल से करीब 32 किलोमीटर दूर असंध-कोहंड मुख्य मार्ग स्थित गांव बल्ला को जनपद में आबादी के लिहाज से दूसरे नंबर का दर्जा प्राप्त है।
दलसिंह मान, बल्ला
करनाल से करीब 32 किलोमीटर दूर असंध-कोहंड मुख्य मार्ग स्थित गांव बल्ला को जनपद में आबादी के लिहाज से दूसरे नंबर का दर्जा प्राप्त है। गांव में 12 मतदान केंद्र हैं। हर चुनाव में गांव को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया है, जिसकी वजह चुनाव में पार्टीबाजी बताई है। हालांकि इस ऐतिहासिक गांव में लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान कभी भी कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं हुआ। 1960 के पंचायत चुनाव में हुए दंगा-फसाद में छह लोग 16 माह तक जेल में रहे। झगड़े के कारण यह पंचायत चुनाव भी रद कर दिया गया और सवा साल बाद चुनाव कराया गया। पंचायती चुनाव में हुआ था झगड़ा
1978 में हुए पंचायती चुनाव में भी दो गुटों के बीच मारपीट हो गई थी। ग्रामीणों ने इस मामले को ग्राम स्तर पर ही निपटा लिया। वर्ष 2010 में हुए पंचायती चुनाव में भी खूब जमकर फसाद हुआ। इस चुनाव में सरपंच पद के 11 उम्मीदवार मैदान में थे। उस दौरान खूब बवाल हुआ। वोटिंग मशीन तक तालाब में फेंक दी गई। चुनाव के बाद कड़ी सुरक्षा में ईवीएम बीडीपीओ कार्यलय असंध ले जाई गई। रात साढ़े 12 बजे परिणाम घोषित हुआ। तालाब में फेंकी गई सभी ईवीएम दो बूथों की जिला परिषद प्रत्याशियों की मिली, जिसका चुनाव एक सप्ताह बाद कराया गया। जनवरी 2016 में हुए पंचायती चुनाव में एक बार फिर बवाल हुआ। चुनाव परिणाम गांव में तनाव को मद्देनजर घोषित नहीं हो सका। विवाद के चलते रात करीब 12 बजे परिमाण घोषित हुआ। ग्रामीणों में है भाइचारा
मास्टर कर्ण सिंह का कहना है कि पंचायत चुनाव की घटना का सार लेकर प्रशासन गांव को अति संवेदनशील श्रेणी में रखता आ रहा है। यह मिथक टूटना चाहिए। इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कोई झगड़ा नहीं हुआ। पूर्व सरपंच बलवान सिंह का कहना है कि पंचायती चुनाव में आपस में छोटा-बड़ा विवाद हो जाता है। चुनाव के बाद सभी ग्रामीण फिर एकजुट हो जाते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कभी गांव में कोई झगड़ा नहीं हुआ। पंचायत चुनाव में गांव पर लगा कलंक आज तक नहीं मिटा। हर चुनाव में प्रशासन ग्रामीणों से पूछे बिना ही गांव को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रख देता है जोकि गलत है बल्ला शांतिप्रिय गांव है। एसडीएम अनुराग ढालिया का कहना है कि मतदान केंद्रों की तीन श्रेणियां होती हैं। क्रिटिकल, संवेदनशील और अतिसंवेदनशील। क्रिटिकल श्रेणी में वे मतदान केंद्र आते हैं जहां 75 फीसद से अधिक वोटिग होती है और सभी मत एक ही प्रत्याशी के पक्ष में जानी संभव मानी जाती है। संवेदनशील श्रेणी में उन मतदान केंद्रों को शामिल किया जाता है जहां कभी झगड़ा हुआ हो। अति संवेदनशील श्रेणी में वे मतदान केंद्र आते हैं जहां कभी गोली या लठ चले हों। दोबारा ऐसी वारदात ना हो इसलिए प्रशासन इन्हें अलग-अलग श्रेणियों में रखता है। स्थिति के मुताबिक पुलिस बल और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात की जाती है।