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समाजसेवियों की आस्था पर निर्भर गोशालाएं, नहीं बही ग्रांट की गंगा

जिले में 24 से अधिक गोशालाओं में 12 हजार से अधिक गोवंशों की देखरेख की जा रही है। प्रत्येक गोवंश का एक दिन का खर्च करीब 40 रुपये आता है जोकि समाजसेवियों की आस्था के सहारे चल रहा है। एक-दो गोशालाएं खुद की आमदनी कर गोसेवा में सक्षम हैं जबकि अधिकतर गोशालाओं को मुलाजिमों के वेतन तक के लिए परेशान होना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 09:12 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:49 AM (IST)
समाजसेवियों की आस्था पर निर्भर गोशालाएं, नहीं बही ग्रांट की गंगा
समाजसेवियों की आस्था पर निर्भर गोशालाएं, नहीं बही ग्रांट की गंगा

जागरण संवाददाता, करनाल : जिले में 24 से अधिक गोशालाओं में 12 हजार से अधिक गोवंशों की देखरेख की जा रही है। प्रत्येक गोवंश का एक दिन का खर्च करीब 40 रुपये आता है जोकि समाजसेवियों की आस्था के सहारे चल रहा है। एक-दो गोशालाएं खुद की आमदनी कर गोसेवा में सक्षम हैं, जबकि अधिकतर गोशालाओं को मुलाजिमों के वेतन तक के लिए परेशान होना पड़ता है।

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इन गोशालाओं का मासिक बजट डेढ़ करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है, जोकि केवल समाजसेवियों के सहयोग से ही संभव हो पा रहा है। करनाल जिले में चार नंदीग्राम सहित 24 गोशालाओं को सरकार से मदद की दरकार है। सरकार की ओर से शेड निर्माण के लिए 5 से 10 लाख रुपये की सहयोग राशि इतने बड़े बजट के लिए नाममात्र है। हाईवे बेल्ट पर हादसे का बन रहे कारण

सड़क व कचरे के ढेर में गोवंशों का मुंह मारना जिले के प्रत्येक कस्बे में आम देखा जाता रहा है। हाईवे बेल्ट होने के कारण मवेशी हादसे का कारण बनते हैं। हाईवे अथॉरिटी जीटी रोड के दोनों तरफ सुरक्षा को लेकर लोहे की जाली लगा रही है, लेकिन मवेशी कहीं न कहीं से जीटी रोड पर चढ़ हादसे का कारण बन रहे हैं। हाईवे किनारे बसे लोगों के अनुसार पानीपत से अंबाला के बीच रोजाना एक हादसा मवेशी के कारण हो रहा है। लोग अपने पशुओं को खुले में छोड़ देते हैं, जिस पर नगर निगम और नगरपालिका भी गंभीर नहीं है। प्रदेश में विकास की गंगा बहाने वाली सरकार ने गोवंशों को सड़क पर कचरे में मुंह मारने या हादसे का कारण बनने से रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

जिले में 12 हजार गोवंश

जिले में चार नंदी ग्राम सहित 24 गोशालाएं हैं। जिले में शहर सहित नीलोखेड़ी, जुंडला, तरावड़ी, निगदू, मुनक, निसिग, असंध, उपलाना, इंद्री की गोशालाओं में तकरीबन 12 हजार गोवंशों की देखरेख की जा रही है। कुछ गोशालाएं दुग्ध उत्पादन भी कर रही हैं, जिससे बजट में सहयोग मिलता है। अगर सरकार गोशालाओं को सहयोग देती है तो सड़कों पर मवेशियों को घूमने से रोका जा सकता है।

गायों के लिए नहीं कोई सरकार के पास योजना

प्रदेश में विकास की गंगा बहाने वाली प्रदेश सरकार ने चुनाव जीतने के लिए बेशक गायों के लिए योजनाओं को लाने का ऐलान किया था, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है। हालात ये हैं कि पुरानी सब्जी मंडी, नावल्टी रोड, सेक्टर-32, ठंडी सड़क, प्रेमनगर, रामनगर, वसंत विहार में मवेशी सड़कों पर घूमते रहते हैं। नगर निगम में इन मवेशियों की शिकायत भी दी जाती है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

मीरा घाटी निवासी देवेंद्र कुमार, सतीश अरोड़ा, सुरिद्रपाल ने बताया कि सरकार ने शुरू में गोवंशों के लिए योजनाओं को लागू करने की घोषणाएं की, लेकिन धरातल पर लोग केवल हादसों का शिकार हो रहे हैं।

गोचरान जमीनों की नहीं देखभाल

सैदपुरा निवासी दयाराम, तेजबीर ने बताया कि गोचरान जमीनों पर लोगों ने कब्जा किया हुआ है। नगर निगम अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। गोवंश और गोचरान जमीनों को सुरक्षा देने के लिए भाजपा सरकार से लोगों को उम्मीद थी। नगर निगम के पास गोचरान भूमि को लेकर कोई योजना नहीं है। सरकार ने नहीं बनाई योजना

नंदीग्राम गोधाम के प्रधान कृष्ण गर्ग ने बताया कि समाजसेवियों व पंचायतों के सहयोग से जिले में गोशालाओं का कामकाज चल रहा है। सरकार की तरफ से सहयोग नहीं है। शेड व जमीन पहले से ही नगर निगम व नगरपालिका के तहत चल रहे हैं। सरकार से गोशालाओं को बजट जारी करने के लिए अपील की जाएगी, ताकि सड़कों पर घूम रहे गोवंश को सुरक्षित स्थान मिल सके।

सड़कों पर बेसहारा गोवंश

संवाद सहयोगी, तरावड़ी : अंजनथली रोड, सौंकड़ा रोड, नड़ाना रोड, लल्याणी रोड व ओवरब्रिज के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर घूमते पशुओं के कारण रोजाना कोई न कोई हादसा हो जाता है। भाजपा सरकार में गो माता की रक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे किए गए। गोधन की रक्षा के लिए नेता और समाजसेवी केवल बयानबाजी तक ही सीमित रहे हैं। शहर में गलियों एवं कॉलोनियों में गोवंश कचरे में मुंह मारते फिरते हैं।

सरकार का नहीं सहयोग

शांतिवन गोपाल गोशाला तरावड़ी के अध्यक्ष नाथीराम गुप्ता ने बताया कि सरकार से एक पैसे की मदद नहीं है। साल में डेढ करोड़ रुपये गोशाला का बजट है, जोकि समाज सेवियों पर निर्भर है। 1900 गोवंशों की सेवा के लिए 30 मुलाजिम तैनात हैं। विधायक से गोशाला के सहयोग के लिए कई बार अपील की गई, लेकिन कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई। लोगों का जागरूक होना जरूरी है ताकि सड़कों पर घूम रहे मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जा सके।

आवारा मवेशियों को भेजते गोशाला

एडीसी अनिश यादव ने बताया कि सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों को समाजसेवियों के सहयोग से गोशाला में भेजा जाता है। कुछ बजट जारी होता है, जोकि गोवंश को गोशाला तक छोड़ने के लिए मदद करता है। पुलिस को इस संबंध में सतर्क रहने के लिए कहा है, ताकि आवारा मवेशियों से शहरवासियों को परेशानी ना हो।

सिर्फ शेड के लिए मिली राशि

निसिग में डाचर रोड स्थित श्रीकृष्ण गोपाल गोशाला के संचालक गोपाल गोस्वामी, प्रधान सुभाष सिगला ने बताया कि समाजसेवियों के सहयोग से गोशाला को चलाया जा रहा है। आयोग की तरफ से शेड के लिए सहयोग राशि मिली थी, लेकिन गोवंशों के चारे को लिए गोशाला प्रबंधन कमेटी समाजसेवियों पर निर्भर है। एक हजार से अधिक गोवंश की देखरेख की जा रही है।


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