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लगभग 20.5 मिलियन लोग आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर : छबीलेंद्र राउल

राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान में भारत में पशुधन और मत्स्य उत्पादन प्रणाली की स्थिरता विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 09:44 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:31 AM (IST)
लगभग 20.5 मिलियन लोग आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर : छबीलेंद्र राउल
लगभग 20.5 मिलियन लोग आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर : छबीलेंद्र राउल

जागरण संवाददाता, करनाल : राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान में भारत में पशुधन और मत्स्य उत्पादन प्रणाली की स्थिरता विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उर्वरक विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सचिव छबीलेंद्र राउल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिकरत की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सकल घरेलू आय में पशुधन का 4.11 फीसद और मत्स्य का 0.91 फीसद योगदान है। उन्होंने कहा कि लगभग 20.5 मिलियन लोग पशुधन पर और 14.0 मिलियन लोग मत्स्य पर आजीविका के लिए निर्भर हैं। उन्होंने आगे जोर दिया कि छोटे ग्रामीण परिवारों की आय में पशुधन का योगदान लगभग 16 फीसद है, जबकि सभी ग्रामीण परिवारों आय में औसतन 14 फीसद है, इसलिए इस क्षेत्र की स्थिरता महत्वपूर्ण है।

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दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय प्रतिनिधि एवं सत्र के संयोजक डॉ. हबीबर रहमान ने कहा कि विकासशील देशों में आधे अरब से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए पूरे या आंशिक रूप से पशुपालन पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा लगभग 821 मिलियन लोग कुपोषित हैं, क्योंकि उन्हें प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस तरह कृषि के इस क्षेत्र पर ध्यान देने की जरूरत है।

पशु विज्ञान विभाग के उप-महानिदेशक, डॉ. जेके जेना ने कहा कि ने कहा कि भारत में पशुधन क्षेत्र में कम उत्पादकता, अपर्याप्त जर्मप्लाज्म, लॉ प्रोडक्टिविटी, गुणवत्ता फ़ीड और चारे की कमी, अपर्याप्त रोग प्रबंधन सहित कई चुनौतियां भी हैं। इसलिए इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए तकनीकी को विकसित करना होगा।

डेरी विकास बेरोजगारी पर काबू पाने का एक प्रमुख साधन : एके श्रीवास्तव

कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड सदस्य डॉ. एके श्रीवास्तव ने कहा कि पशुधन और डेरी विकास बेरोजगारी पर काबू पाने के लिए एक प्रमुख साधन बना सकता हैं, क्योंकि पशुपालन और डेयरी में रोजगार के अवसर, फसल क्षेत्र की तुलना में अधिक हैं और कृषि उत्पादन की स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस क्षेत्र को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर कुल सार्वजनिक व्यय का लगभग 12 प्रतिशत प्राप्त हुआ, जो कृषि सकल घरेलू उत्पाद में इसके योगदान की तुलना में कम है।

एनडीआरआइ के निदेशक डॉ. आरआरबी सिंह ने कहा कि पशुधन क्षेत्र के सामने आने वाली भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए, पशुधन उत्पादन प्रणाली को टिकाऊ बनाने तथा रणनीति तैयार करने के लिए इस मंथन सत्र का आयोजन किया गया है। आयोजन सचिव और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एके मोहंती ने धन्यवाद ज्ञापित किया और बताया कि आइसीएआरआइ, आइसीएआर के विभिन्न संस्थानों से आए 64 प्रतिभागियों ने भाग लिया।


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