हिदू हो या मुस्लिम, ईसाई हो या सिख, सबके दिल मिलाना, इन सबको प्यार देना
ईदगाह में ईद उल फितर हर्षाेल्लास से मनाई गई। नमाज अदा की गई। अल्लाह का शुक्र अदा करने के साथ ही देश प्रेम भाईचारे व माता-पिता की सेवा का पाठ पढ़ाया गया। इमाम अब्दुल अहमद ने बताया कि मजहब प्यार बांटने की सीख देता है।
धर्मसिंह, करनाल
ईदगाह में ईद उल फितर हर्षाेल्लास से मनाई गई। नमाज अदा की गई। अल्लाह का शुक्र अदा करने के साथ ही देश प्रेम, भाईचारे व माता-पिता की सेवा का पाठ पढ़ाया गया। इमाम अब्दुल अहमद ने बताया कि मजहब प्यार बांटने की सीख देता है। मजहब में अल्लाह की इबादत की जाती है, परन्तु सभी धर्माें के लोगों से दिल मिलाकर चलना पहली तहजीब है।
माता-पिता की सेवा के बारे में इमाम ने कहा कि मां-बाप से कभी भी नाराज नही होना चाहिए। मां के कदमों में जन्नत है तो पिता के कदमों में जन्नत का दरवाजा।
इमाम अब्दुल अहमद ने नज्म के माध्यम से भाईचारे व देशभक्ति का संदेश दिया। 'यारा मेरे वतन को ऐसी बहार देना, जिसमें खिजां न आए ऐसा निखार देना'। हर दिन हो ईद इसका हर रात हो दिवाली, खुशियां मेरे वतन को परवरदिगार देना।। हिदू हो या मुस्लिम, ईसाई हो या सिख हो, इन सबके दिल मिलाना, इन सबको प्यार देना।। सुबह 9 बजे शुरू हुई नमाज
ईदगाह में नमाज शुरू होने का समय सुबह 9 बजे का था, लेकिन लोग यहां सुबह 7 बजे से ही पहुंचना शुरू हो गए थे। रुमाल हो या टोपी, खरीदारी के लिए ईदगाह के बाहर दुकानें लगी थी। लोगों ने जमकर खरीदारी की। ओल्ड जीटी रोड किनारे दो एकड़ मे बनी ईदगाह 8.40 बजे तक खचाखच भर गई। सुबह 9 बजते ही पहले नमाज पढ़ी गई और उसके बाद दुआ कुबूल करवाई गई।