कामयाब हो रहा पराली नहीं जलाने का आह्वान : डॉ. त्रिलोचन महापात्रा
संवाद सहयोगी, तरावड़ी कस्बे के प्रगतिशील किसान मनोज चौधरी के फार्म हाउस पर दैनिक जागरण के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण को बचाएंगे के तहत सैकड़ों किसानों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने मुख्य रूप से शिरकत की।
संवाद सहयोगी, तरावड़ी
कस्बे के प्रगतिशील किसान मनोज चौधरी के फार्म हाउस पर दैनिक जागरण के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण को बचाएंगे के तहत सैकड़ों किसानों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने मुख्य रूप से शिरकत की। उनके साथ केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. प्रबोध चंद्र शर्मा व अन्य वैज्ञानिक भी पहुंचे। डॉ. महापात्रा ने कहा कि दैनिक जागरण का पराली नहीं जलाएंगे का आह्वान कामयाब होने लगा है। यह बेहद खुशी की बात है कि मीडिया हाउस अपनी जिम्मेदारी इतनी अच्छी तरीके से निभा रहा है। उन्होंने दैनिक जागरण के इस अभियान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए जो बेहतर जिम्मेदारी मीडिया ने अदा कि है शायद ही कोई कर पाएगा। डॉ. महापात्रा ने कहा कि अब लोग समझने लगे हैं कि पराली जलाने से उनकी जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है। अवशेष जलाने से जमीन में पोषक तत्वों की कमी आ रही है। अवशेषों को खेत के अंदर ही मिलाएं तो करेंगे खाद का काम
प्रगतिशील किसान विकास चैधरी तथा मनोज कुमार पिछले 10 वर्षों से फसल अवशेषों का समगतिशील उपयोग करके लाभदायक खेती को अपना रहे हैं। डीजी ने खेतों पर आयोजित संरक्षित खेती के अव्यवों का अवलोकन किया। वैज्ञानिकों तथा करीब 100 कृषकों ने संयुक्त रूप से संरक्षित खेती में उपयोग होने वाले कृषि यंत्रों के प्रदर्शन देखे एवं किसानों से सीधे तौर पर उनके अनुभवों को साझा किया। डा. महापात्रा ने बताया कि पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण का खतरा केवल मनुष्यों पर ही नहीं, अपितु मिट्टी तथा खाद्य श्रृंखला पर बुरे तरीके से पड़ रहा है। इस प्रभाव को संज्ञान में लेते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहयोग से तथा डा. महापात्रा की संस्तुति पर कृषकों की अनुकूलन क्षमता बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने कुल 1152 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया है। हरियाणा में अब तक 1320 कस्टम हाय¨रग सेंटरों की स्थापना
उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा कस्टम हाय¨रग सेंटर बनाने, यंत्रों को खरीदने तथा फसल अवशेषों का समुचित प्रबंधन करने के लिये किया जाता है। पूरे हरियाणा में अब तक कुल करीब 1320 कस्टम हाय¨रग सैंटर की स्थापना की जा चुकी है। उन्होंने विकास चौधरी तथा मनोज कुमार द्वारा अंगीकृत पराली के समगतिशील उपयोग से मिट्टी में कार्बन की मात्रा को 0.2 से बढ़ाकर 1.2 प्रतिशत करने के अनुभवों को सराहा तथा उन्हें धन्यवाद देते हुए यह कहा कि इन किसानों के अनुभवों का उपयोग करते हुए उन्हें भारत सरकार की पराली न जलाने की नीति में उपयोग किया है। डा. महापात्रा ने कृषकों के साथ बातचीत करते हुए यह बताया कि पराली के सही उपयोग करने से केवल मृदा की उर्वरता ही नहीं बढ़ती बल्कि खरपतवारों पर नियंत्रण होता है जिसके परिणामस्वरूप कृषि रसायनों का कम उपयोग होता है।
कार्यक्रम के अंत में निदेशक डा. प्रबोध चंद्र शर्मा ने महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन में आने वाले समय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद हरियाणा तथा पंजाब राज्यों की बहुत सी समस्याओं जिसमें पराली जलाने की समस्या प्रमुख है को अनुसंधान एवं कृषि प्रसार की सहायता से नया आयाम देने में किसानों तथा नीति निर्धारकों को लाभ होगा। दैनिक जागरण द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
इस मौके पर आईसीएआर गवर्निंग बाडी के सदस्य, डा. के अलगुसुंदरम उपमहानिदेशक, डा. एसके चौधरी, डा. वीपी चहल तथा डा. एसपी किमोथी, डा. एमएल जाट, किसान विकास कुमार, संजय चौधरी, शिव कुमार, सरदार पाल ¨सह, लवप्रीत ¨सह, विनोद अंजनथली, सुरेश कुमार, देवेंद्र नीलोखेड़ी, सतपाल, तरनजीत ¨सह मौजूद रहे।
::::
क्त्रद्गश्चश्रह्मह्लद्गह्म ष्ठद्गह्लड्डद्बद्यह्य :
क्कड्डह्मस्त्रद्गद्गश्च स्द्धड्डह्मद्वड्ड
8
\द्गद्वड्डद्बद्यद्बस्त्र6
8
त्नक्कह्वढ्डद्यद्बष्ड्डह्लद्बश्रठ्ठ6
9999