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नोटबंदी के बाद जीएसटी की मार से मंदा रहा व्यापार

जागरण संवाददाता, करनाल जीएसटी के लिहाज से वर्ष 2017 काफी यादगार रहा। साल की शुरूआत स

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Dec 2017 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 29 Dec 2017 03:00 AM (IST)
नोटबंदी के बाद जीएसटी की मार से मंदा रहा व्यापार
नोटबंदी के बाद जीएसटी की मार से मंदा रहा व्यापार

जागरण संवाददाता, करनाल

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जीएसटी के लिहाज से वर्ष 2017 काफी यादगार रहा। साल की शुरूआत से ही जीएसटी लागू होने की सुगबुगाट शुरू हो गई थी। इससे व्यापार के तरीकों में होने वाले बदलावों से व्यापारी भी सकते में आ गए थे। नोटबंदी की मार से अभी बाजार पूरी तरह उभरे नहीं थे कि पहली जुलाई से जीएसटी लागू हो गया। व्यापारियों के अलावा आम जनता को जीएसटी का पूरा पता ना होने के कारण काफी दिक्कतें भी पेश आई। लिहाजा बाजारों में आंशिक मंदी भी छाई।

बाद में आबकारी एंव कराधान विभाग द्वारा जीएसटी को लेकर वर्कशॉप, बैठकों और सेमिनारों के माध्यम से विभिन्न वर्गों के व्यापारियों को जीएसटी से रूबरू कराया गया। विभाग की ओर से 60 से ज्यादा जागरूकता सेमिनार किए गए। उद्योग-कारोबार में मंदी के कारण यह साल व्यापारियों के लिए अच्छा नहीं रहा। लेकिन टैक्स पद्धति में बदलाव से यह वर्ष हमेशा यादगार रहेगा।

दैनिक जागरण की पाठशाला में सीखी टैक्स की एबीसीडी

जीएसटी को लेकर व्यापारियों को पेश आ रही दिक्कतों के समाधान को दैनिक जागरण की ओर से भी जीएसटी की पाठशाला का आयोजन किया गया। जिसमें जिलेभर से 250 से ज्यादा व्यापारियों ने जीएसटी के नियमों व इसमें काम करने के तरीकों के प्रति जागरूक किया गया। इस कार्यक्रम के बाद भी जीएसटी के प्रति व्यापारियों को जागरूक करने का सिलसिला जारी रहा।

ई-वे बिल के फेर में उलझे रहे ट्रांसपोर्टर

देशभर में जीएसटी लागू के बाद से ही इसका विरोध और समर्थन जारी रहा। वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के पहले माह तक छोटे व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर की स्थिति वैसी ही है। जो इसके लागू होने से पहले की थी। वे अभी तक इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि उन्हें काम कैसे करना है। कपड़े पर कर लगने से जिन व्यापारियों ने जीएसटी में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया, उन्हें माल खरीदने में भी दिक्कतें पेश आई। इससे ट्रांसपोर्ट भी प्रभावित रहा। उन्हें 50 हजार रुपये से ज्यादा मूल्य वाले माल की ढुलाई करने के लिए इसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसमें ई-वे बिल लेने के लिए उन्हें माल के क्रेता और विक्रेता दोनों का रजिस्ट्रेशन जीएसटी में होना जरूरी है। ऐसे में कई व्यापारियों के पास जीएसटी नंबर न होने से ट्रांसपोर्ट भी पूरी तरह से प्रभावित है।

सीएम सिटी में हुआ करोड़ों का व्यापार प्रभावित

कपड़े पर वस्तु एवं सेवा कर लगने के विरोध में जहां सूरत और अमृतसर के थोक बाजारों में काफी दिनों तक बंद रहे। वहीं कई जगह थोक मार्केट के खुले होने के बावजूद भी व्यापारियों को जीएसटी नंबर के बिना माल नहीं मिल सका। ऐसे में नए माल की आवक ना होने के कारण शुरूआत के करीब 25 दिनों से सीएम सिटी का कपड़ा व्यापार प्रभावित रहा। करनाल शहर में सरदार पटेल मार्केट, कर्ण गेट, कुंजपुरा रोड व गुड़ मंडी में कपड़े के बाजार है। जहां 300 से ज्यादा कपड़ा व्यापारी हैं। इसके अलावा घरौंडा, इंद्री, असंध व नीलोखेड़ी सहित कई गांवों में कपड़े की छोटे-बड़े व्यापारियों को मिलाकर जिले में रोजाना करीब एक करोड़ का व्यापार होता है। लेकिन नए माल की आवक ना होने के कारण उन दिनों करीब 25 करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ है।

जीएसटी ने लगवाया ब्रांडेड कंपनियों से देसी तड़का

शुरूआत में जीएसटी से बचने के लिए उद्यमियों ने चोर रास्ता भी निकाला। इससे उन्हें टैक्स से काफी राहत भी मिली। उनका माल भी पूरा बिकता रहा और कोई टैक्स भी नहीं देना पड़ा। अब तक ब्रांड बनाकर चावल, दाल, आटा और बेसन की बेचने वाली नामी कंपनियों ने अपने उत्पाद को उल्टे कट्टों में डालकर बेचा। पै¨कग दिखने में तो देसी वस्तु ही लगती है। लेकिन इन कट्टों में पैक वस्तु ब्रॉन्डेड ही है। इससे इन कंपनियों को जीएसटी के तहत लगने वाला टैक्स बचा। लेकिन विभाग की सख्ती के बाद कईं कंपनियों को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना ही पड़ा।

फोटो---08 नंबर है।

वर्जन-

जीएसटी लागू होने से काफी बदलाव सामने आए हैं। शुरूआत में व्यापारियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन बाद में सेमिनारों के माध्यम से जागरूक करने के बाद काफी हद तक व्यापारियों को जीएसटी में काम करने के तरीकों का पता चला। 60 से ज्यादा सेमिनार कराए गए। -आनंद ¨सह दलाल, डीईटीसी सेल्स करनाल।


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