पराली जलाने से होती भूमि की उपजाऊ क्षमता समाप्त : डा. राकेश
जागरण संवाददाता करनाल हरियाणा विज्ञान मंच की ओर से ग्राम पंचायत बांसा के सहयोग से प्रजाप
जागरण संवाददाता, करनाल : हरियाणा विज्ञान मंच की ओर से ग्राम पंचायत बांसा के सहयोग से प्रजापत चौपाल में किसान पाठशाला आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता पंच अंग्रेज सिंह ने की। राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल से कृषि विज्ञान केंद्र के संयोजक डा. राकेश कुमार ने किसानों को धान की पराली जलाने के नुकसान दायक प्रभावों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पराली जलाने से किसान का सबसे ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि इससे बहुत मात्रा में प्रदूषण फैलता है। इसके अलावा उसकी भूमि को उपजाऊ बनाने वाले जीवाणु ज्यादा तापमान की वजह से मर जाते हैं। उसके खेत में पेड़ पौधों को भी नुकसान पहुंचता है सिक्के का दूसरा पहलू है यदि किसान उन अवशेषों को जमीन के अंदर ही दबा देता है तो वह खाद का काम करता है और उसके खाद के खर्च में कटौती करता है। कृषि विज्ञान केंद्र करनाल से पशुपालन विशेषज्ञ वैज्ञानिक डा. राजकुमार ने किसानों को फसल विविधिकरण में पशुओं के महत्व को प्रकाश डालते हुए बताया कि की अच्छी नस्ल के पशु किसान के संकट में बड़ा सहारा होते हैं। पंच सरदार अंग्रेज सिंह ने किसान पाठशाला में आश्वस्त किया कि पराली प्रबंधन पर मुआवजा देने से हमारे गांव में कोई भी किसान पराली को आग के हवाले नहीं करेगा। युवा प्रगतिशील किसान आकाशदीप का कहना था कि हमें सीएचसी से किराए पर औजार नहीं मिल रहे क्योंकि हमारा गांव सीएचसी से मूनक से जुड़ा हुआ है। डा. राजेंद्र सिंह ने किसानों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए बताया कि भारतीय गेहूं एवं जो अनुसंधान संस्थान करनाल ने इस वर्ष किसानों को नई किस्म का बीज तुरंत किसान तक पहुंचाने के लिए बीज ग्राम योजना शुरू की है। इस अवसर पर सरदार जोगा सिंह, गुरमीत सिंह कुलवंत सिंह, काबल सिंह, गुरनाम सिंह, पूर्ण चंद व पृथ्वी राम उपस्थित रहे।