फसल अवशेषों में आग लगाने के मामले में 50 प्रतिशत आई गिरावट
उपायुक्त मंगलवार को लघु सचिवालय परिसर में फसल अवशेष प्रबंधन का प्रचार प्रसार करने के लिए एक जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाने के बाद किसानों को संदेश दे रहे थे।
जागरण संवाददाता, करनाल : गत दो वर्षो के दौरान फसल अवशेष प्रबंधन के तहत किसानों ने जिले में कस्टम हायरिग सेंटर के माध्यम से तथा व्यक्तिगत तौर पर भी कृषि मशीनों का प्रयोग किया है। इससे फसल अवशेष अथवा फानों में आग लगाने के मामलों में 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। यह बातें डीसी विनय प्रताप सिंह ने कही।
उपायुक्त मंगलवार को लघु सचिवालय परिसर में फसल अवशेष प्रबंधन का प्रचार प्रसार करने के लिए एक जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाने के बाद किसानों को संदेश दे रहे थे।
उन्होंने फसलों में आग लगाने की प्रवृत्ति को गंभीर विषय बताते हुए कहा कि इससे निपटने के लिए किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। उम्मीद है कि अगले 2 सालों में इस अभियान में और अधिक सफलता मिलेगी। जिले में अब तक 260 कस्टम हायरिग सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं। 600 किसानों ने व्यक्तिगत तौर पर भी फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विकसित किए गए कृषि यंत्रों को खरीदा है।
उन्होंने बताया कि जागरूकता वैन में टर्बो, हैप्पी सीडर व आरएमबी प्लो का प्रर्दशन किया गया है। यह जिले के सभी खंड मुख्यालयों पर जाकर किसानों को पराली न जलाने और इससे धन कमाने के बारे में जागरूक करेगी। इस अवसर पर जागरूकता वाहन की व्यवस्था करने वाले जेबीएनआर एजुकेशनल एंड चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष सारण सिंह, नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक अभिमन्यु मलिक, जन कल्याण समिति एनजीओ के उपाध्यक्ष गुलाब मान, राजबाला, डीडीए डॉ. आदित्य डबास, सीएचसी से जुड़े प्रगतिशील किसान तथा सेल्फ ग्रुप की महिलाएं भी उपस्थित थी।