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लर्निंग लाइसेंस से पहले लेनी होगी ट्रैफिक रुल्स की ट्रे¨नग

जागरण संवाददाता, करनाल सड़क हादसों का ग्राफ कम करने के लिए प्रशासन ने एक नई पहल की है। अब लर्निंग लाइसेंस बनवाने से पहले ट्रैफिक रुल्स को जानना होगा और ड्राइ¨वग की भी ट्रे¨नग लेनी होगी। इस ट्रे¨नग में पास होने के बाद ही लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया जा सकेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 02:07 AM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 02:07 AM (IST)
लर्निंग लाइसेंस से पहले लेनी होगी ट्रैफिक रुल्स की ट्रे¨नग
लर्निंग लाइसेंस से पहले लेनी होगी ट्रैफिक रुल्स की ट्रे¨नग

जागरण संवाददाता, करनाल

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सड़क हादसों का ग्राफ कम करने के लिए प्रशासन ने एक नई पहल की है। अब लर्निंग लाइसेंस बनवाने से पहले ट्रैफिक रुल्स को जानना होगा और ड्राइ¨वग की भी ट्रे¨नग लेनी होगी। इस ट्रे¨नग में पास होने के बाद ही लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया जा सकेगा। बुधवार से नई व्यवस्था लागू हो चुकी है। ट्रैफिक पार्क में होंडा के विशेष प्रशिक्षकों द्वारा ट्रे¨नग दी गई। पहले बैच में सुबह 30 आवेदकों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता होंडा टू व्हीलर्स इंडिया के वाइस चेयरमैन प्रभु नागराज ने की। वहीं एडीसी एवं आरटीए सचिव निशांत कुमार यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने कहा कि होंडा के सहयोग से लाइसेंस धारकों को यह ट्रे¨नग निश्शुल्क मुहैया कराई जाएगी। इस अवसर पर होंडा के एजीएम हरदीप ¨सह, सहायक सचिव सतीश जैन व आरटीए इंस्पेक्टर जो¨गद्र ढुल मौजूद रहे। प्रमाण पत्र दिखाने पर ही बनेगा लाइसेंस

एडीसी ने बताया कि लर्नर लाइसेंस बनवाने से पहले धारकों को पार्क में 2 घंटे का प्रशिक्षण लेना जरुरी है। इसके बाद प्रार्थी का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। इसके बाद प्रार्थी उपमंडल अधिकारी के कार्यालय में जाकर अपने लर्निग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेगा। इसलिए किया फेरबदल

ई-दिशा केंद्र में हर माह करीब 4500 लोग लर्निंग लाइसेंस बनवाने आते हैं। इनमें औसतन 1600 लोग स्टॉल टेस्ट में यातायात नियमों की जानकारी न होने के कारण फेल हो जाते हैं। पास नहीं होने के कारण वे बिना लाइसेंस के ही रोड पर ड्राइ¨वग करने लग जाते हैं। ड्राइवर के अनट्रेंड होने के कारण रोड एक्सिडेंट के चांस भी ज्यादा रहते हैं। इसलिए व्यवस्था में फेरबदल किया गया है।

लोगों में बढ़े ट्रैफिक सेंस : एडीसी

एडीसी निशांत कुमार यादव ने बताया कि शहर के लोगों को यातायात नियमों की जानकारी देने के लिए अभी तक कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी। लाइसेंस बनवाने से पहले भी प्रार्थी को फाइल पर दिए कुछ नियम ही पढ़ने को मिलते थे। इन्हें पढ़ने के बाद वह स्टॉल टेस्ट देते थे। और पास नहीं हो पाते थे। वहीं, लोगों को सड़कों पर मनमाने तरीके से ड्राइ¨वग करते हुए देखा जाता है। ऐसे लोगों में ट्रैफिक सेंस बढ़ाना भी लर्निग लाइसेंस के सिस्टम में फेरबदल करना मकसद है।


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