बसंत विहार व राजीवपुरम में विकास के दावे फेल, मिल रहा कीचड़
बसंत विहार की राह पर चलते हुए राजीवपूरम कॉलोनी वासियों ने ग्रुप बनाकर दो साल से गलियों के कीचड़ को खत्म करने के लिए सोशल साइट का सहारा लिया है।
जागरण संवाददाता, करनाल : बसंत विहार की राह पर चलते हुए राजीवपूरम कॉलोनी वासियों ने ग्रुप बनाकर दो साल से गलियों के कीचड़ को खत्म करने के लिए सोशल साइट का सहारा लिया है। शहर की कॉलोनियों में दो लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में थोड़ी सी बरसात से 15 दिन तक कीचड़ जमा रहता है और बरसात के समय नौकरीपेश व दिहाड़ीदार घर जाने की बजाए रिश्तेदारों के घरों में रात गुजारने को मजबूर हैं। 30 वर्ष पहले बसे बसंत विहार कॉलोनी वासियों ने सोशल साइट के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी कीचड़ की गलियों के माध्यम से अधूरे विकास की तस्वीर भेजकर एक साल से समस्या से निजात दिलाने की मांग कर रहे हैं। 152 एकड़ में फैली बसंत विहार कॉलोनी की 14 गलियों में बसने वाली लगभग 17 हजार की आबादी गली, नालियों व सड़कों की समस्या से त्रस्त हैं। वहीं, राजीवपुरम के वासी भी नेताओं के आश्वासनों से क्षेत्र लोग थक चुके हैं और अधूरे विकास से माफी मांगने लगे हैं। ---बॉक्स----
अमरूत योजना के तहत डाला जा रहा सीवर
केंद्र सरकार की अटल मिशन फॉर रिजुविनेशन एंड अर्बन ट्रांसफोर्मेशन (अमरूत) योजना के तहत कालोनियों में सीवरेज, वाटर स्ट्रोम लाइम और एसटीपी बनने हैं। फरवरी-2018 को वर्क आर्डर हुए। अब प्रोजेक्ट को पूरा करने मे मात्र कुछ माह बचे हैं। 131 करोड़ से 208 किलोमीटर की सीवरेज लाइन दो साल में बिछाई जानी है। निगम अधिकारियों ने काम को जांचने की जहमत नहीं समझी और जनता परेशानी झेल रही है। अधिकारियों ने यह भी देखने की कोशिश नहीं की कि कंपनी क्यों समय पर काम पूरा नहीं कर रही है। शहर में 2015 के सर्वे के मुताबिक 66 अवैध कालोनियां चिन्हित की गई जिनमें लगभग दो लाख लोग रहते हैं, जो शहर की आबादी का आधा हिस्सा है। इन कालोनियों में लोग पक्की सड़कें, स्ट्रीट लाइट, पेयजल के लिए नगर निगम के चक्कर काटने को मजबूर हैं। ----बॉक्स----
जल्द काम पूरा करने का मंत्री व अधिकारी दे चुके आश्वासन
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लघु सचिवालय में तैनात राजू ने बताया कि बसंत विहार में घर बनाया हुआ है और जब से सीवर कार्य शुरू हुआ है बरसात के दिनों में घर नहीं जाता हूं। तीन दिन बारिश के चलते गलियों से निकलना मुश्किल होता है इसलिए रिश्तेदारों के पास ठहरना मजबूरी बन जाता है। वहीं, बसंत विहार एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष सुभाष शर्मा ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री व नगर निगम को कई बार समस्या से अवगत करवाया गया है। इस दौरान पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव कांबोज, मेयर रेणुबाला गुप्ता व नगर निगम अधिकारी कई बार कॉलोनी में दौरा कर चुके हैं। बावजूद लोगों को कीचड़ से निजात नहीं मिल रही है। अमरूत योजना के तहत फरवरी-2018 में पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव कांबोज ने सीवर निर्माण कार्य का उद्घाटन किया था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ। दूसरी तरफ, राजीवपुरम निवासी विवेक कुमार ने बताया कि सीवर कार्यों से तंग होकर कॉलोनी की समस्या को सोशल साइट के माध्यम से क्षेत्र के कीचड़ को दूर करवाने के लिए नेताओं व अधिकारियों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। नेताओं व अधिकारियों के गंभीर न होने के कारण गंदगी में मक्खी-मच्छरों से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। हाईटैंशन तार लोगों के लिए खतरा बनी हुई है। ---बॉक्स----
घरों से बाहर निकलना मुश्किल
क्षेत्रवासी बसंत कुमार, सतपाल, दारा सिंह, महम सिंह, सुरेश कुमार, मामन, मोना ने बताया कि अब क्षेत्र के लोग करनाल के कीचड़ वाले विकास को सोशल साइट के माध्यम से प्रचार कर रहे हैं ताकि सीएम सिटी की असली तस्वीर लोगों को दिखाई पड़ सके। कॉलोनी में 14 गलियां हैं, सबकी हालात खराब है। बारिश आने के बाद लोगों का अपने घरों से बाहर आना-जाना भी दूभर हो जाता है, क्योंकि जरा सी बारिश होते ही गलियों में कीचड़ बन जाता है। बीते सप्ताह हुई बूंदाबांदी के बाद लोगों को बाहर निकलना मुश्किल हो गया और बच्चों को स्कूल से छुट्टी करनी पड़ी। बीते पांच साल में शहर के विकास के दावे करने वाले नेताओं व अधिकारियों को कॉलोनियों के लोगों की परेशानी को गंभीरता से लेना चाहिए।