अवशेष न जलाने और भूजल बचाने के लिए किया जागरूक
अवशेष जलाना न सिर्फ पर्यावरण के लिए घातक है बल्कि कानूनी अपराध भी है। इससे उठने वाले धुआं जानलेवा हादसे का कारण बनता है। फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए हरियाणा विज्ञान मंच का अभियान हरिसिंहपुरा गांव पहुंचा।
संवाद सहयोगी, घरौंडा : अवशेष जलाना न सिर्फ पर्यावरण के लिए घातक है, बल्कि कानूनी अपराध भी है। इससे उठने वाले धुआं जानलेवा हादसे का कारण बनता है। फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए हरियाणा विज्ञान मंच का अभियान हरिसिंहपुरा गांव पहुंचा।
मंच के राज्य कमेटी सदस्य डॉ. राजेंद्र सिंह ने किसानों को फानों में लगाई जाने वाली आग से होने वाले नुकसान व फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। किसानों ने फसल अवशेष न जलाकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग देने का आश्वासन दिया।
सोमवार को हरिसिंहपुरा की बैरागी चौपाल में हरियाणा विज्ञान मंच की ओर से आयोजित फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम में किसानों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया गया। डॉ. राजेंद्र सिंह ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है, साथ ही मित्र कीट भी मर जाते हैं। आग की लपटें व धुआं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। फानों में आग लगाकर किसान प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है। किसान फसल अवशेष में आग लगाने के बजाय फानों को नष्ट करने के लिए जैविक विधि व अन्य विधियों को प्रयोग कर सकते हैं।
डॉ. राजेंद्र ने गिरते जल स्तर पर भी चिता जताते हुए किसानों को मक्का की बिजाई की सलाह दी। प्रगतिशील किसान नरेश कुमार, धर्म सिंह, नफे सिंह, ओमप्रकाश, आत्माराम, आनंद चौकीदार ने विश्वास दिलाया कि वे अवशेषों को नहीं जलाएंगे और दूसरे किसानों को भी जागरूक करेंगे।
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