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दाखिलों के बाद प्रिसिपल की परमिशन से कॉलेज का बदलाव संभव

उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन यूजी दाखिला प्रणाली विद्याíथयों और कॉलेज स्टाफ के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। आवेदन से लेकर पहली मेरिट लिस्ट के अंतर्गत दाखिलों की प्रक्रिया में विद्यार्थी अपनी इच्छा के कॉलेजों में एडमिशन लेने से पिछड़ गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 08:49 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 08:49 AM (IST)
दाखिलों के बाद प्रिसिपल की परमिशन से कॉलेज का बदलाव संभव
दाखिलों के बाद प्रिसिपल की परमिशन से कॉलेज का बदलाव संभव

जागरण संवाददाता, करनाल : उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन यूजी दाखिला प्रणाली विद्याíथयों और कॉलेज स्टाफ के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। आवेदन से लेकर पहली मेरिट लिस्ट के अंतर्गत दाखिलों की प्रक्रिया में विद्यार्थी अपनी इच्छा के कॉलेजों में एडमिशन लेने से पिछड़ गए हैं। अब विभाग ने पत्र जारी कर ऐसे युवाओं के लिए 16 जुलाई को प्रिसिपल स्तर पर दाखिला मिलने की राहत दी है। 9 जुलाई से दूसरी मेरिट लिस्ट के दाखिले शुरू हो जाएंगे और सीटे खाली रहने पर ही यह सुविधा आवेदकों को मिल सकेगी। दूसरी तरफ, स्टूडेंट अब विभाग के इस छलावे में आने के मूड में नहीं हैं। वे जानते हैं कि सीट और आवेदनों पर नजर दौड़ाई जाए तो बाद में प्रवेश पाना मुश्किल हो जाएगा।

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छुट्टी वाले दिन कॉलेजों में पहुंचे विद्यार्थी

जिले के कॉलेजों में विद्यार्थी रविवार को दस्तावेजों की वेरिफिकेशन और दाखिला लेने के लिए पहुंचे। प्रबंधकों ने स्टाफ को रविवार को बुलाया था। पूर्व निधारित पांच से सात जुलाई तक वेरिफिकेशन और दाखिलों के चलते युवाओं ने फीस सबमिट की। छुट्टी के चलते बैंक बंद थे बावजूद कॉलेज में नकद फीस जमा करवाई गई। यहां उच्चतर विभाग की कॉलेजों में कैशलेस सुविधा की योजना को पानी फिरता नजर आ रहा है। विभाग की तरफ से कॉलेजों में दाखिलों को सरल बनाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई गई थी, लेकिन सात जून से प्रिसिपलों के पास छात्र-छात्राएं रोजाना अपनी समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं।

बैंक में खाते खुलवाने का दबाव

उच्चतर विभाग की ओर से इस बार फीस जमा करवाने के लिए बैंकों का बदलाव किया गया है। एचडीएफसी और इंड्स बैंक में छात्र जब दाखिले के लिए फीस जमा करवाने पहुंच रहे हैं तो वहां कर्मचारी उन पर खाता खुलवाने का दबाव बना रहे हैं। छात्र निखिल ने बताया कि ऑनलाइन चालान प्रड्यूस करने के बाद जब बैंक शाखा में गया तो फीस जमा करने से पहले कर्मचारी ने उसके सामने खाता खोलने की पेशकश की। आमदनी न होने के कारण खाता खोलना मुश्किल था। खाली हाथ वापिस कॉलेज में आना पड़ा। समस्या को समझते हुए कॉलेज प्रबंधन ने ऑफलाइन फीस जमा की।

ऑनलाइन के लिए युवाओं नहीं मिली गाइडलाइन

उच्चतर विभाग की ओर से ऑनलाइन प्रणाली का इस सत्र से शुरू किया गया है। प्रक्रिया की फ्रेमिग न होने के चलते युवाओं को ऑनलाइन आवेदन भरने की अधिक जानकारी नहीं मिल सकी। कुछ छात्रों ने ऑप्शन में पांच कॉलेज अल्फाबेट तरीक से भर दिए जिसके कारण उनकी स्वेच्छानुसार कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला सका। बाजार में भी कम्प्यूटर सेंटर संचालकों को अधिक जानकारी न होने के कारण आवेदकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल दस कॉलेजों की ऑप्शन की बजाए इस बार पांच की समझ कर छात्रों ने नाम भर दिए। ऑनलाइन पोर्टल ने पहले नंबर वाले कॉलेज या फिर सब्जेक्ट के अनुसार तीसरे नंबर वाले कॉलेज में विद्यार्थी का सूची में नाम सिलेक्ट कर दिया।

कमजोर दिखाई दिए कॉलेजों के हेल्प डेस्क

पोर्टल खुलने के साथ ही दाखिलों के लिए सभी कॉलेजों के प्रबंधकों ने हेल्प डेस्क स्थापित कर दिए। शिक्षकों पर भरोसे के आधार पर ऑनलाइन आवेदन कर दिए गए, जबकि मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद अब तक हेल्प डेस्क पर बैठाए कए शिक्षक पोर्टल के नियमों को समझनें में लगे हुए हैं। उच्चतर विभाग की से जारी गाइड लाइन शिक्षकों को के न समझ पाना के कारण भी युवा दाखिले के लिए वंचित रह गए हैं। अब जो युवक कॉलेजों में पहुंच रहे हैं तो मुख्य गेट से हेल्प डेस्क तक पहुंचने के लिए उन्हें जगह-जगह पूछना पड़ रहा है। अब प्रबंधकों ने 9 जुलाई को दूसरी कटऑफ लिस्ट के लिए कमर कस ली है। --वर्जन----

डीएवी पीजी कॉलेज के प्रिसिपल रामपाल सैनी ने बताया कि विद्याíथयों की फीस जमा की परेशानी को समझते हुए कॉलेज में फीस जमा करवाई जा रही है। ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण मुख्यालय स्तर पर ही समस्याओं का हल संभव हैं। लोकल स्तर पर विद्याíथयों को मदद की जाती है। शिक्षा विभाग की ओर जारी पत्र के अनुसार 16 जुलाई को छात्र बची हुई सीटों पर प्रिसिपल की परमिशन से दाखिला ले सकते हैं।


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