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Karnal News: करनाल का ऐसा गांव जहां आजादी के 75 साल बाद पहली बार कॉलेज पहुंची गांव की बेटियां

Karnal News आजादी के 75 साल बाद जहां देश के अन्य शहर विकास के राह पर अग्रसर हैं तो वहीं हरियाणा में अभी भी महिलाएं अपने अधिकारों के लए लड़ रही हैं। करनाल के गांव देवीपुर की बेटियों को कॉलेज पहुंचने में 75 साल लग गए।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghPublished: Thu, 16 Mar 2023 07:47 AM (IST)Updated: Thu, 16 Mar 2023 07:47 AM (IST)
Karnal News: करनाल का ऐसा गांव जहां आजादी के 75 साल बाद पहली बार कॉलेज पहुंची गांव की बेटियां
एक बेटी की जिद ने पिता समेत ग्रामीणों को मनाया

कपिल पूनिया, करनाल। जिस करनाल की बेटी कल्पना चावला 20 साल पहले आसमान में उड़ान भर चुकी है, उसी करनाल के गांव देवीपुर की बेटियों को कॉलेज पहुंचने में 75 साल लग गए। कॉलेज में पढ़ने का सपना तो गांव बाकी लड़कियों ने भी देखा, लेकिन नैना की जिद ने उनका रास्ता खोल दिया।

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अब नैना के साथ गांव की 15 लड़कियां कॉलेज जा रही है। सभी के लिए बस की व्यवस्था की गई है। हालांकि गांव के रास्ते में पड़ने वाला पुल अभी भी समस्या बना हुआ है। जिसपर दिनभर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। ग्रामीणों की मांग के बाद यहां पुलिस गश्त बढ़ाए गए हैं।घरौंडा क्षेत्र के गांव देवीपुर की आबादी करीब दो हजार है।

नैना ने बदली अपनी किस्मत

देवीपुर और गढ़ी बराल मिलकर एक पंचायत है। गांव निवासी नैना ने बताया कि उसे शुरू से ही पढ़ाई का शौक रहा है। उसे डर था कि आज तक उसके गांव से कोई भी लड़की कॉलेज नहीं गई है। कॉलेज जाने के लिए उसे अपने मजदूर पिता और ग्रामीणों को मनाना होगा।

पिता को सताता था ये डर

पिता को डर था कि बेटी शहर और कॉलेज जाकर बिगड़ सकती है। शहर के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भी व्यवस्था नहीं थी। नैना ने पिता को भरोसा दिया कि अगर वह कुछ गलत करती है तो उसे कोई भी सजा मंजूर है। उसे किसी से ज्यादा बात न करने और फोन का इस्तेमाल बिल्कुल न करने की हिदायत दी गई।

इसके बाद पिता राजी हुए। मुख्य दंडाधिकारी जसबीर और एनजीओ के सहयोग से ग्रामीणों को बेटियों की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया गया। उन्होंने गांव से शहर तक बस की व्यवस्था कराई। तब गांव 15 लड़कियां कॉलेज पहुंच सकी। सभी बीते वर्ष करनाल और बसताड़ा स्थित कॉलेज के बीए पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है।

अपनी दस बहनों के लिए बनाया रास्ता

नैना बताती है कि उसके अलावा उसकी दस बहनें हैं। सभी गांव के स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं। अब उसकी दस बहनों के साथ गांव बाकी लड़कियां भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं।

पुल पर रहता है असामाजिक तत्वों का जमावड़ा

गांव सरपंच कृष्ण ने बताया कि शहर पहुंचने के लिए पुल से गुजरना पड़ता है। जिसकी मियाद पांच साल पहले ही पूरी हो चुकी है। इस पुल पर दो गांवों के असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। जो लड़कियों पर पत्थर फेंकने के साथ गंदे कमेंट करते हैं। पुलिस से शिकायत के बाद अब पुल पर गश्त बढ़ाए गए हैं। जिससे कुछ राहत मिली है।

ज्योति की रही अहम भूमिका

नैना की तरह गढ़ी खजूर गांव की ज्योति भी इसी दौर से गुजर चुकी है। ज्योति बारहवीं के बाद इकलौती लड़की थी जिसने शहर के कॉलेज में दाखिला लिया। ज्योति ने बताया कि 12वीं के बाद बेटियों की शादी कर दी जाती है, लेकिन उसने पढ़ने की ठानी। परिवार का साथ मिला तो वह कॉलेज पहुंच सकी। अब गांव के सरकारी स्कूल में लर्निंग सेंटर चलाकर गांव की लड़कियों को शिक्षित कर रही है।


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