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अपनाएं स्ट्रांग इम्युनिटी का हथियार, रुकेगा कम्युनिटी संक्रमण का वार

-- असंतुलित खान-पान व अनियमित दिनचर्या से युवा आ रहे चपेट में -- लॉकडाउन के तीसरे दौर में बढ़ रहा है खतरा एहतियात बेहद जरूरी -- विशेषज्ञों ने कहा-रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी से ही बचाव संभव फोटो 1

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 May 2020 08:31 AM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 08:31 AM (IST)
अपनाएं स्ट्रांग इम्युनिटी का हथियार, रुकेगा कम्युनिटी संक्रमण का वार
अपनाएं स्ट्रांग इम्युनिटी का हथियार, रुकेगा कम्युनिटी संक्रमण का वार

पवन शर्मा, करनाल

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लॉकडाउन का तीसरा दौर शुरू हो गया है। इसमें बाजार और तमाम दफ्तर खुलने के कारण कम्युनिटी इन्फेक्शन या सामुदायिक संक्रमण बढ़ने का सर्वाधिक खतरा है। लिहाजा, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों और बच्चों के लिए तो घर पर रहकर हिदायतें बरतने की एडवाइजरी जारी की गई है लेकिन युवा बेरोकटोक बाहर निकल रहे हैं। पार्कों से लेकर बाजारों और दफ्तरों तक, हर जगह युवा सबसे ज्यादा तादाद में देखे जा सकते हैं। जबकि, आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि यह संक्रमण युवाओं को तेजी से चपेट में ले रहा है। इसके लिए असंतुलित दिनचर्या और खान-पान में असावधानी प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। नतीजतन, फेफड़ों व गुर्दों सहित ह्रदय सरीखे संवेदनशील अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो इससे बचाव के लिए इम्युनिटी में बढ़ोत्तरी ही कारगर उपाय है। जीवन शैली में बदलाव आवश्यक: संपूर्णानंद

सुविख्यात योग गुरु स्वामी संपूर्णानंद कहते हैं कि युवाओं का इम्यून सिस्टम तेजी से गड़बड़ा रहा है। इससे उनके संवेदनशील अंग खतरे में हैं। असंतुलित दिनचर्या और हमेशा गहरे तनाव में रहने के कारण युवा खतरनाक संक्रमण के शिकार बन रहे हैं। उन्हें खुद को बचाना है तो सबसे पहले जीवन शैली में आवश्यक बदलाव लाकर इम्युनिटी बढ़ानी होगी। योग और आयुर्वेद आतंरिक क्षमता और ऊर्जा बढ़ाने के सबसे कारगर विकल्प हैं मगर जीवन की आपाधापी में युवा इधर ध्यान नहीं दे रहे। लॉकडाउन में जो युवा नशे की लत, अनिद्रा या तनाव सरीखी समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए सर्वाधिक खतरा है। इसलिए, बिना एक पल गंवाए योग का मार्ग अपनाएं। प्राणायाम, अनुलोम विलोम, ध्यान व अन्य योग आसनों का नियमित अभ्यास करें। तनावमुक्त रहें। ताजे फल-सब्जी खाएं। सुबह शाम घर की छत या आंगन में ही सैर करें। शारीरिक दूरी और अन्य हिदायतों का अक्षरश: पालन करें तो संक्रमण आसपास भी नहीं फटक सकेगा।

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लापरवाही न बरतें, सचेत रहें : डा. दुरेजा

करनाल के कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. जगदीश चंद्र दुरेजा कहते हैं कि कोरोना संक्रमण किसी को भी हो सकता है। हालांकि, युवाओं में जिस तरह कई मामले सामने आए हैं, वह यकीनन हैरान कर देने वाले हैं। दरअसल, यह हकीकत सबको समझ लेनी चाहिए कि कोरोना किसी को तभी चपेट में लेता है, जब इसे लेकर लापरवाही बरती जाती है। किशोर व युवा वर्ग में ऐसा अक्सर होता है। युवाओं को हर पल सचेत रहकर घर में रहने और बाहर निकलने पर शारीरिक दूरी के नियम का सजगता से पालन करना चाहिए। खान-पान में संतुलन और इम्युनिटी बढ़ाना भी आवश्यक है। इसके लिए वे फल, तरल पदार्थ, आवश्यक विटामिन व प्रोटीन की मात्रा में कटौती न करें। भरपूर नींद लें। तनाव से बचें और कोई भी समस्या होने पर चिकित्सकीय सलाह लेने में लापरवाही कदापि न बरतें।

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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं: डा. अश्विनी

करनाल के सिविल सर्जन डॉ. अश्विनी आहुजा बताते हैं कि बुजुर्गों में कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक रहता है लेकिन युवाओं में भी ऐसे मामले बढ़ना आश्चर्यजनक है। संभव है कि अधिक मूवमेंट के कारण यह वर्ग अधिक चपेट में आता है। कई युवा खुद को लेकर बेपरवाह भी रहते हैं, जिससे वे अक्सर अंजाने में संक्रमण के शिकार बन जाते हैं। इसलिए बेहतर है कि युवा इम्युनिटी बढृाने पर ध्यान दें। कई युवा रात में देर तक जागते हैं, जो सही नहीं है। इसी तरह खानपान में लापरवाही भी भारी पड़ सकती है। कई युवा तनाव के भी शिकार रहते हैं। इन तमाम कारणों से इम्युनिटी घटती है। यह अच्छी तरह समझ लें कि कोरोना को मात देनी है तो सबसे पहले अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करनी होगी अन्यथा खतरा बना रहेगा।

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आयुर्वेद में अद््रभुत शक्ति: डॉ. राजीव

आयुर्वेद के ज्ञाता और पतंजलि चिकित्सालय के डॉ. राजीव बंसल कहते हैं कि आयुर्वेद में अछ्वुत शक्ति है। युवा वर्ग इसके प्रति गंभीरता नहीं दर्शाता जबकि बुजुर्ग आज भी इसे अपनाना ही बेहतर समझते हैं। इसीलिए युवाओं में खतरा बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आयुर्वेद का महत्व बखूबी समझाया है। यह साबित हो चुका है कि आंवला, गिलोय, शिलाजीत, नीम व ऐसी तमाम जड़ी-बूटियों से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इससे वायरस से लड़ाई में मदद मिलती है। इसी तरह दादी-नानी के घरेलू नुस्खे फिर प्रयोग में आ रहे हैं। घरेलू उपाय भी आजमाए जा रहे हैं। इनमें कोई नुकसान नहीं है। आयुर्वेद और योग अनमोल उपहार हैं। इसलिए, दोनों के महत्व को देखे हुए अंदरुनी शक्ति और सभ्यतागत शक्ति का विस्तार करना चाहिए।

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हिदायतों पर अमल करें: डॉ. विमल

राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ. विमल धवन कहते हैं कि युवाओं में निसंदेह संक्रमण का खतरा ज्यादा है क्योंकि वे अक्सर इसके प्रति आवश्यक गंभीरता नहीं दर्शाते। इसीलिए उन्हें रोग से बचाव के प्रति हर पल सचेत रहना चाहिए। होम्योपैथी भी बचाव में बहुत कारगर है। कई जगह ऐसे प्रयोग किए गए हैं, जिनसे साबित हो रहा है कि होम्यौपथी संक्रमण से रक्षा के साथ विभिन्न प्रकार के साइड इफेक्ट से बचाने में भी बहुपयोगी है। सबसे बेहतर तो यही है कि युवा शारीरिक दूरी रखने, मास्क लगाने सहित सभी पहलुओं को लेकर हर पल सचेत रहें। इसके लिए सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी सहित विभिन्न चिकित्सक संगठनों की ओर से भी आवश्यक हिदायतें दी गई हैं।


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