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एक पॉजीटिव सोच ने बदल दी तस्वीर, सरपंच ने स्कूल तो गुरुजी ने बदल दी बच्चों की तकदीर

राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंद होने के कगार पर था, लेकिन एक पॉजीटिव सोच ने स्कूल को बदल दिया। इससे बच्चों की तकदीर बदल गई।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 12:32 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 08:49 PM (IST)
एक पॉजीटिव सोच ने बदल दी तस्वीर, सरपंच ने स्कूल तो गुरुजी ने बदल दी बच्चों की तकदीर
एक पॉजीटिव सोच ने बदल दी तस्वीर, सरपंच ने स्कूल तो गुरुजी ने बदल दी बच्चों की तकदीर

संजीव गुप्ता, निगदू (करनाल)। एक पॉजीटिव सोच। बदलाव बड़ा, जो दूसरों को भी नजर आ रहा है। हर कोई उत्साहित है। एक सीख भी है। करना वही है जो हम कर रहे हैं। बस तरीका थोड़ा अलग होना चाहिए। गांव हैबतपुर और यहां का प्राथमिक स्कूल ऐसी ही कहानी लिख रहा है।

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1600 की आबादी के गांव की पंचायत की आमदनी भी ज्यादा नहीं। मगर सरपंच राजपाल व चार अध्यापकों ने ऐसे छोटे-छोटे बदलाव किए कि सरकारी स्कूल जो कभी बंद होने की कगार पर था, आज वह निजी स्कूलों को टक्कर नहीं रहा है।

बदलाव की शुरुआत तो यूं ही होती है

सरपंच राजपाल ने बताया कि गांव के लोग ज्यादा अमीर नहीं हैं। महंगे निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ा नहीं सकते। क्या किया जाए? यही सवाल उनके सामने था। तब विचार आया, स्कूल ही संवार लें। पंचायत में सलाह की तो सब राजी हो गए। खंडहर भवन को पंचायत ने एक लाख रुपये खर्च कर रेनोवेट कराया। स्मार्ट क्लास के लिए एलसीडी लगवाई। इससे बच्चे अंग्रेजी सीखते हैं। टीचर कम पड़े तो दो टीचर पंचायत ने अपने खर्च पर नियुक्त किए।

शिक्षक भी भला कहां पीछे रहने वाले थे

पंचायत ने प्रयास किए तो शिक्षक भी उत्साहित हुए। उन्होंने अभिभावकों से बातचीत की। बच्चों के फंड से अलग-अलग ड्रेस ली जाए, ताकि पारंपरिक के बजाय निजी स्कूल का लुक आए। सब सहमत। रंग-बिरंगी ड्रेस में चहक रहे बच्चे सफलता की कहानी के जीवंत किरदार नजर आते हैं। एक्सरसाइज के लिए सामान जुटाया। छोटे बच्चों के लिए झूले लगवाए गए। कुल मिलाकर सरकारी स्कूल को मॉडल स्टाइल में ढाला गया।

अध्यापक पंकज कुमार, सतीश कुमार व परमजीत सिंह ने बताया कि पिछले साल स्कूल में बच्चों की संख्या करीब 40 के आस-पास थी जो सरकार के नोटिस के अनुसार बंद होने की कगार पर था। अब यहां 72 बच्चे हैं। अगले साल का टारगेट तीन गुणा बच्चों का एडमिशन करने का है।

यह भी किया

मिड-डे-मिल खाने से पहले बच्चों को साबुन से अच्छी तरह हाथ धोकर जीवन में स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। स्कूल के प्रांगण में लगे पेड़-पौधे की सुरक्षा के लिए हर बच्चे को एक पौधा गोद देकर उनकी सुरक्षा करने का जिम्मा भी दिया हुआ है।

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