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एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जहां से एम्स और पीजीआइएमएस के बाद सबसे कम मरीज हुए रेफर

एम्स व पीजीआइ चंडीगढ़ के बाद करनाल का कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज हरियाणा में तीसरा ऐसा चिकित्सा संस्थान है जिसमें सबसे कम मरीज रेफर हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 10:38 AM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 10:38 AM (IST)
एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जहां से एम्स और पीजीआइएमएस के बाद सबसे कम मरीज हुए रेफर
एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जहां से एम्स और पीजीआइएमएस के बाद सबसे कम मरीज हुए रेफर

जागरण संवाददाता, करनाल : एम्स व पीजीआइ चंडीगढ़ के बाद करनाल का कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज हरियाणा में तीसरा ऐसा चिकित्सा संस्थान है जिसमें सबसे कम मरीज रेफर हुए हैं। प्रबंधन के मुताबिक टोटल मरीजों की संख्या का कुल तीन फीसद मरीज ही रेफर हुए हैं। जो एक अच्छी व्यवस्था बता रहा है। यह स्थिति तब है जब यहां पर सुपर स्पेशिलिटी की स्थाई व्यवस्था नहीं है। हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने यह भी कहा है कि सुपर स्पेशिलिटी की सुविधा मिलने के बाद व्यवस्था ओर भी बेहतर होगी। फिलहाल 89 हजार फाइलों का विश्लेषण भी किया जा रहा है कि किस विभाग से कितने मरीज पिछले दो सालों में रेफर हुए हैं। विभागों के अनुसार अलग-अलग डाटा निकाला जा रहा है। गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज पर मरीजों को जबरदस्ती रेफर करने के आरोप भी लगे थे। जिसके बाद प्रबंधन ने इस पर काम करना शुरू किया। फाइलों के अध्ययन में ओवरआल तीन प्रतिशत केस रेफर होने का आंकड़ा निकलकर सामने आया है।

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इन पहलुओं पर भी हो काम

1. ट्रीटमेंट - मेडिकल कॉलेज में मरीज आने के बाद उन्हें ट्रीटमेंट कैसा मिला, उसका फीडबैक रिकार्ड भी रखा जा रहा है। ट्रीटमेंट से यदि कोई मरीज संतुष्ट नहीं है और वह यहां से अधर में गया है उसका रिकार्ड भी निकाला जा रहा है।

2. रेफरल- जो मरीज केसीजीएमसी में इलाज के लिए आए और उन्हें रेफर करना पड़ा उसका आंकड़ा क्या है? क्या यह केस जेनुअन है। संबंधित डॉक्टर कौन था इस प्रकार के केस की स्टडी भी की जा रही है, ताकि कॉलेज की स्थिति को सुधारा जा सके।

3. लामा - (लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाज) ऐसे मरीज जो बिना चिकित्सक की अनुमति के इलाज के दौरान चले जाते हैं।

उपचार के दौरान मौत का आंकड़ा भी 0.5 प्रतिशत

लोगों के लिए यह अच्छी खबर है कि मेडिकल कॉलेज के ओवरऑल आंकलन में उपचार के दौरान 0.5 प्रतिशत मौत का आंकड़ा निकलकर सामने आए है। हालांकि मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान हुई मौत के कई मामले सामने आए। लापरवाही के आरोप भी लगे, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दावा किया कि कॉलेज प्रबंधन ने दावा किया कि उपचार के दौरान मौत का आंकड़ा बहुत कम है।

600 बैड में से 550 पर भर्ती रहते हैं मरीज

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के 600 बैड के अस्पताल में से 550 मरीजों की औसत दाखिल रहते हैं। जो आंकड़ा निकाला गया है इसी औसत से निकाला गया है। साल में कितने मरीज दाखिल हुए, कुल लोड का तीन प्रतिशत मरीज रेफर हुए हैं।

कैसे संभव हुआ?

- डॉक्टरों की कमी थी, जिसको भरा गया। सीनियर व जूनियर रेजीडेंट की भर्ती की गई। सुपर स्पेशिलिटी की सुविधा नहीं है, लेकिन मेडिकल कॉलेज ने न्यूरो सर्जन से टाइअप किया हुआ है। हैड इंजरी का कोई इमरजेंसी में केस आया कॉल पर डॉक्टर्स को बुलाया गया। केस हैंडल किए गए। जिससे रेफर केसों की संख्या में कमी आई है। वर्जन

फोटो---24 नंबर है।

महज तीन प्रतिशत केस रेफर होना हमारे डॉक्टरों की उपलब्धि बताता है। संस्थान में सभी डॉक्टरों और स्टाफ ने पूरे जी-जान से जुटकर काम किया है। यही कारण है कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को यहां पर सफल इलाज देने में कामयाब हो पाए हैं। डेथ रेसो भी महज 0.5 निकलकर सामने आया है। हमारा आगे भी यही प्रयास रहेगा कि लोगों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाए।

डॉ. सुरेंद्र कश्यप, निदेशक कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज करनाल।

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