हाथ धोने से 70 फीसद बीमारियों से बचाव संभव : शर्मा
जागरण संवाददाता करनाल उपायुक्त निशांत कुमार यादव के मार्गदर्शन में व अतिरिक्त उपायुक्त अशो
जागरण संवाददाता, कानपुर : उप्र लघु उद्योग निगम (यूपीएसआइसी) बोर्ड की लखनऊ में आयोजित बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इसी के साथ ही पांच एकड़ से 50 एकड़ में निजी क्षेत्र के सहयोग से औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना का रास्ता साफ हो गया। इसी तरह फ्लैटेड फैक्ट्री और निगम मुख्यालय परिसर में एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत डिस्प्ले सेंटर बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई।
निगम के प्रबंध निदेशक रामयज्ञ मिश्र ने निदेशक मंडल के समक्ष निजी क्षेत्र के सहयोग से औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बताया कि कोई भी कंपनी, संस्था या समूह औद्योगिक क्षेत्र स्थापित कर सकता है। उसके प्रस्ताव पर भूमि को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अधिसूचित कराने का कार्य निगम करेगा। साथ ही डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) के साथ मानचित्र और लेआउट भी तैयार कराएगा। अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निगम बोर्ड के चेयरमैन नवनीत सहगल ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी। कहा कि 25 की जगह 50 एकड़ क्षेत्रफल में ये औद्योगिक क्षेत्र बसाए जाएं ताकि लोगों को आसानी से भूखंड मिल सके। इस स्कीम के तहत औद्योगिक क्षेत्र बसाने के लिए तीन पार्टियां होंगी। एक भूमि का स्वामी, दूसरा विकासकर्ता और तीसरा यूपीएसआइसी। भू स्वामी चाहे तो विकासकर्ता की भूमिका भी निभा सकता है बशर्ते उसके पास अनुभव हो। विकासकर्ता और भू स्वामी अलग-अलग होंगे तो निवेश के अनुरूप उनका शेयर तय होगा। आवंटन भू स्वामी ही करेगा। निगम प्रबंधन औद्योगिक क्षेत्र के विकास में धनराशि भी खर्च कर सकता है, लेकिन जो राशि खर्च करेगा उस पर 12 फीसद ब्याज की वसूली भू स्वामी और विकासकर्ता से की जाएगी। औद्योगिक क्षेत्र में न्यूनतम चार औद्योगिक इकाई स्थापित करने की शर्त होगी। इस अवसर पर बोर्ड उपाध्यक्ष राकेश गर्ग, सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के उप निदेशक राजीव श्रीवास्तव, वित्त विभाग के उप निदेशक अजय जौहरी उपस्थित रहे।
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एसेट लैंडिंग बैंकिंग का गठन होगा
छोटे कारोबारियों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए यूपिको और उप्र लघु उद्योग निगम लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से उद्यम एसेट लैंडिग बैंकिग (एबीएल) का गठन किया जाएगा। कर्मचारियों को पांच वेतन की वृद्धि
निगम के चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को अधिकतम वेतन मिल रहा है। उनका प्रमोशन भी नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उनके वेतन की वृद्धि भी नहीं हो पा रही है। निदेशक मंडल ने ऐसे कर्मचारियों को पांच वेतन की वृद्धि एक साथ देने का निर्णय लिया।
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फ्लैटेड फैक्ट्री को हरी झंडी
निगम की खाली जमीन पर फ्लैटेड फैक्ट्री बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। अब 345 करोड़ रुपये लागत से कानपुर के दादानगर, लखनऊ में स्कूटर इंडिया एंसेलरी एस्टेट नादरगंज और गाजियाबाद और आगरा के फाउंड्रीनगर में फ्लैटेड फैक्ट्री बनेगी। चेयरमैन ने कहा कि फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिकों के लिए बहुमंजिला आवास बनाए जाएं, जिसमें कम से कम 250 मजदूरों के लिए आवास हों। सभी फ्लैटेड फैक्ट्री के लिए फैसिलिटी मैनेजमेंट का गठन भी होना चाहिए।