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करनाल के 14 विद्यार्थियों ने टाप रैंक प्राप्त की नीट की परीक्षा में

देशभर में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए ऑल इंडिया स्तर पर ली जाने वाली प्रवेश परीक्षा नीट का परिणाम सोमवार को घोषित किया गया। जिसमें जेनिसिस क्लासेस के 14 विद्यार्थियों ने 500 से अधिक अंक प्राप्त कर देश विभिन्न उच्च कोटि के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की पात्रता हासिल की।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 02:06 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jun 2018 02:06 AM (IST)
करनाल के 14 विद्यार्थियों ने टाप रैंक प्राप्त की नीट की परीक्षा में
करनाल के 14 विद्यार्थियों ने टाप रैंक प्राप्त की नीट की परीक्षा में

जागरण संवाददाता, करनाल : देशभर में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए ऑल इंडिया स्तर पर ली जाने वाली प्रवेश परीक्षा नीट का परिणाम सोमवार को घोषित किया गया। जिसमें जेनिसिस क्लासेस के 14 विद्यार्थियों ने 500 से अधिक अंक प्राप्त कर देश विभिन्न उच्च कोटि के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की पात्रता हासिल की।

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करनाल में कार्तिक ¨सह 622 अंक प्राप्त कर टॉपर रहा। उसने 599 रैंक और दीक्षा भाटिया ने 615 अंक के साथ 808 रैंक प्राप्त कर सेक्टर-6 स्थित जेनिसिस और करनाल का नाम रोशन किया। दीक्षा ने कहा कि वह चिकित्सक पेशे में समाजसेवा की भावना के साथ जाने की चाहत रखती है। इसके अलावा 12 अन्य विद्यार्थियों ने 500 से अधिक अंक प्राप्त किए। इस परीक्षा में देशभर से लगभग 12 लाख विद्यार्थियों ने भाग लिया था। जेनिसस क्लासेस के डायरेक्टर जितेंद्र अहलावत तथा नवनीत ¨सह ने बताया कि यह विद्यार्थियों की मेहनत की जीत है।

इन विद्यार्थियों का हुआ चयन

जिन विद्यार्थियों का नीट में चयन हुआ। उनमें कार्तिक ¨सह के 622, दीक्षा भटिया के 615, रिया गोयल के 579, सुगंधा के 579, शुभम सलुजा के 569, नितिन कुमार के 552 अंक राहुल बिजू के 548, प्रगति वर्मा के 542, अभिषेक नारंग के 534, तुषार के 533, धीरजा सचदेवा के 523, नितिश के 516, लवप्रीत 513 और एससी केटेगरी में नैंसी के 424 अंक आए।

हड्डी रोग विशेषज्ञ बनना चाहता है कार्तिक

करनाल में नीट की परीक्षा में टॉपर रहा कार्तिक का सपना देश का शीर्ष हड्डी रोग विशेषज्ञ बनना चाहता है। उसको डॉक्टर बनने की प्रेरणा अपने पिता डॉ. बलबीर ¨सह से मिली जो करनाल में डिप्टी सीएमओ हैं। करनाल से अधिकतर नीट में चयनित बच्चों का कहना था कि उनको सफलता सकारात्मक दृष्टिकोण ,कठोर परिश्रम और लक्ष्य आधारित पढ़ाई और शिक्षकों के प्रति समर्पण ने दिलाई। सफल विद्यार्थियों से बात की। इनमें से कुछ ऐसे थे जिन्होंने पहली मर्तबा असफल रहने के बाद हिम्मत नहीं हारी और अगले प्रयास में सफल होकर दिखलाया। दीक्षा ने बताया कि उसने असफलता को गले से नहीं लगाया। रिया गोयल ने वह एंडोक्राइनोलोजिस्ट बनना चाहती है।


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