गेहूं की फसल में पीला रतवा ने बढ़ाई किसानों की चिता
गेहूं की फसल में इन दिनों पीला रतवा आने की संभावनाओं को लेकर किसानों के माथे पर चिता की लकीरें है।
संवाद सहयोगी, पूंडरी: गेहूं की फसल में इन दिनों पीला रतवा आने की संभावनाओं को लेकर किसानों के माथे पर चिता की लकीरें है। किसान पालाराम संगरौली, नरेंद्र सिंह, हरजिद्र व बक्शा सिंह ने बताया कि इस बार अधिक ठंड पड़ने के कारण गेहूं की फसल अच्छी होने की संभावना है, लेकिन साथ ही वे मौसम के साथ आने वाली बीमारियों खासकर पीला रतवा के बारे में चितित है। वहीं कृषि विभाग ने इस बीमारी को लेकर किसानों के लिए एक विशेष सलाह दी है।
सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि किसान पीला रतवा से घबराए नहीं बल्कि विशेषज्ञों की सलाह से कार्य करें। उन्होंने बताया कि किसानों को प्रतिदिन अपने खेतों में विशेषकर गेहूं की अगेती फसल और गेहूं की फसल का वह क्षेत्र जहां वृक्षों की छाया पड़ती हो का निरीक्षण करना चाहिए, क्यों कि यहीं पर इस बीमारी आने की संभावना सबसे अधिक प्रबल रहती है। उन्होंने बताया कि वैसे तो गेहूं की फसल अन्य कई कारणों से भी पीली पड़ जाती है, लेकिन पीला रतवा की पहचान के लिए जब हम गेहूं की पत्तियों को आपस में रगड़कर देखते है तो हाथों पर हल्दी जैसा रंग लग जाता है, यहीं इस बीमारी की सबसे बड़ी पहचान होती है। उन्होंने बताया कि गेहूं की किस्में सी-306,पीवीडब्लयू 343, डब्लयूएच 147, डब्लयूएच 542 व डब्लयूएच 711 आदि की विशेष निगरानी रखने की जरूरत होती है, क्यों कि ये जल्दी इस बीमारी की चपेट में आती है। उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि वे यदि ये बीमारी खेत में कहीं-कहीं आती है तो किसान 200 एमएल प्रोपीकोनोजोल 25 प्रतिशत ईसी का 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करना चाहिए। डॉ. दिनेश ने कहा कि किसानों को चाहिए कि वे इस बीमारी से बचाव के लिए किसानों को पीले रतवे की प्रतिरोधक किस्में डब्लयूएच 1080, बीडब्लयू 1142, डब्लयूएच 157, राज 3765, डब्लयूएच 1142, डब्लयूएच 896 व डब्लयूएच 912 आदि लगानी चाहिए।