गलत बिल बना हड़पे थे रुपये, शिकायत पर कार्रवाई में आरोपित अफसरों को बचाया
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे आरटीआइ कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर की मेहनत पर जनस्वास्थ्य विभाग के रिजनल कार्यालय के अधिकारियों ने पानी फेर दिया। जयपाल ने बताया कि 16 मार्च 2017 को जनस्वास्थ्य विभाग की तरफ से गांव रसूलपुर में एक कार्यक्रम आयोजित किया था।
फोटो नं. 29
जागरण संवाददाता, कैथल : भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे आरटीआइ कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर की मेहनत पर जनस्वास्थ्य विभाग के रिजनल कार्यालय के अधिकारियों ने पानी फेर दिया। जयपाल ने बताया कि 16 मार्च 2017 को जनस्वास्थ्य विभाग की तरफ से गांव रसूलपुर में एक कार्यक्रम आयोजित किया था। बाद में विभाग के अधिकारियों ने इस कार्यक्रम को कोयल पर्यटन केंद्र में दिखा दिया। जब कोयल पर्यटन केंद्र से जानकारी मांगी गई तो पता चला कि यहां तो ऐसा कोई कार्यक्रम हुआ ही नहीं था। इस कार्यक्रम में खरीदे गए सामान की रिपोर्ट मांगी गई, जो हैरान करने वाली थी। आरटीआइ में खुलासा हुआ कि कुल 35 हजार रुपये खर्च दिखाए गए। 10 रुपये की बिसलेरी की बोतल को 35 रुपये में खरीदा हुआ दिखाया गया। यहां तक कि 200 एमएल की बोतल भी खरीदी हुई दिखाई गई, जबकि 200 एमएल की बोतल कंपनी ने बनाई ही नहीं है। जयपाल का आरोप है कि आरटीआइ में जब भ्रष्टाचार सामने आया तो एसडीओ रामफल और जेई नरसी रंगा के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सीएम विडो पर शिकायत दी। इसके बाद तत्कालीन डीसी डॉ. प्रियंका सोनी ने इस मामले की जांच सीटीएम को सौंपी। सीटीएम ने अपनी जांच में दोनों अधिकारियों को दोषी पाया। इसके बाद डीसी को रिपोर्ट दी। डीसी ने विभाग के कार्यकारी अभियंता को दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए। कार्यकारी अभियंता ने दोनों को चार्जशीट करने के लिए मुख्यालय के अधिकारियों से अनुमति लेने को लेकर रिपोर्ट भेजी।
शिकायतकर्ता जयपाल ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट करने के लिए चल रही कार्रवाई को बिना उसका पक्ष लिए बंद कर दिया। अधिकारियों ने लापरवाही बरतते हुए रोहतक के सतनारायण नाम के व्यक्ति की एटीआर को अपलोड करते हुए इस कार्रवाई को बंद कर दिया, जो दुर्भाग्य पूर्ण है। सीएम विडो के माध्यम से उसे इस बारे में पता चला। शिकायतकर्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वे लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं, अगर इसी तरह अधिकारी लापरवाही बरतते हुए दोषियों को बचाते रहे तो कैसे भ्रष्टाचार खत्म होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सका है।