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आधी आबादी का तराश रहे भविष्य

अब महिलाएं भी अपने हुनर के जरिए अपना व अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। आधी आबादी का भविष्य तराशने के लिए महिला समाज सुधार समिति नौ सालों से काम कर रही है। 2012 में 11 महिलाओं ने मिलकर समिति का गठन किया था। उनकी सोच थी कि मंदिर मस्जिद व गुरुद्वारे में दान देने की बजाय कुछ ऐसा किया जाए जिससे महिलाओं का उत्थान हो सके।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 08:40 AM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 06:32 AM (IST)
आधी आबादी का तराश रहे भविष्य
आधी आबादी का तराश रहे भविष्य

सुनील जांगड़ा, कैथल

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अब महिलाएं भी अपने हुनर के जरिए अपना व अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। आधी आबादी का भविष्य तराशने के लिए महिला समाज सुधार समिति नौ सालों से काम कर रही है। 2012 में 11 महिलाओं ने मिलकर समिति का गठन किया था। उनकी सोच थी कि मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारे में दान देने की बजाय कुछ ऐसा किया जाए, जिससे महिलाओं का उत्थान हो सके।

समिति की संस्थापक रमनदीप कौर ने बताया कि अब तक समिति 300 महिलाओं का अपना रोजगार शुरू करवा चुकी है। समिति ने 14 अप्रैल 2014 को सैनी धर्मशाला अंबाला रोड पर पहला सिलाई सेंटर शुरू किया, जिसमें 30 लड़कियों ने छह महीने का कोर्स किया। अब समिति की ओर से गांव व शहर में सात सिलाई सेंटर खोले जा चुके हैं। महिलाओं को ट्रेनिग निशुल्क दी जाती है। ट्रेनिग लेने के बाद महिलाएं अपने घर, गांव व शहर में काम शुरू कर रही हैं। इसके अलावा समिति की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काम किया जा रहा है। समिति हर साल बरसात के मौसम में 1100 पौधे लगाती है।

समिति की ओर से बनाए गए हैं 16 स्वयं सहायता समूह

महिलाओं के हुनर को तराशने के लिए समिति की ओर से 16 स्वयं सहायता समूह चलाए जा रहे हैं। समूह के जरिए महिलाओं को छोटे रोजगारों से जोड़ा जा रहा है। महिलाएं यहां पहले काम का अभ्यास करती हैं। उसके बाद स्वयं का काम शुरू कर लेती हैं। ये स्वयं सहायता समूह शहर व गांव में चलाए जा रहे हैं, जिसमें 170 सदस्य काम कर रहे हैं। इनमें महिलाओं को पापड़, आर्टिफिशियल गहने और बैग बनाने के अलावा ब्यूटी पार्लर, नर्सिग, पेंटिग, फ्लावर डेकोरेशन का काम भी सिखाया जा रहा है।

स्कूलों में लगाए जा रहे जागरूकता कैंप

समिति की ओर से शहर व गांव के स्कूलों में जागरूकता कैंप लगाए जा रहे हैं। इनमें छात्राओं को सेल्फ डिफेंस के बारे में बताया जाता है। इन कैंपों में ऐसी छात्राओं को बुलाया जाता है जिन्होंने किसी कारण से स्कूल छोड़ दिया हो। उनके अभिभावकों से बातचीत कर दोबारा इन्हें स्कूल में भेजने का प्रयास किया जाता है।

इस तरह से हुआ था समिति का गठन

समिति की संस्थापक रमनदीप कौर ने बताया कि 2012 में उनकी दोस्त स्नेह बंसल का जन्मदिन था। इस दौरान स्नेह के अलावा 10 अन्य महिलाएं भी मौजूद थी। बात करते-करते विचार आया कि मंदिरों में दान देने की बजाय कुछ ऐसा किया जाए, जिससे समाज का उत्थान हो सके। इस बात पर सभी ने सहमति जताई और सबने मिलकर महिला समाज सुधार समिति का गठन कर लिया। शुरुआत में उन्होंने गरीबी से जूझ रही और जीने की उम्मीद छोड़ चुकी कुछ विधवा महिलाओं को शक्ति उड़ान केंद्र में कोर्स करवाकर रोजगार के लायक बनाया। उसके बाद समिति ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।


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