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बिना गारंटी मिले ऋण से पूरे हो रहे ममता के सपने

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से मिलने वाले बिना शर्त ऋण से लोगों को सपने पूरे करने व बढि़या जीवन जीने में मदद मिल रही है। अब तक योजना के तहत नौ हजार 839 लोगों को 79 करोड़ 53 लाख रुपये ऋण अनुदान पर दिया जा चुका है। योजना के तहत शिशु ऋण 50 हजार तक किशोर ऋण 50 हजार से लेकर पांच लाख तक और तरुण ऋण पांच लाख रुपये लेकर 10 लाख रुपये तक की मदद दी जाती है। बैंक के माध्यम से मिलने वाले ऋण पर अनुदान भी दिया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 10:41 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 10:41 AM (IST)
बिना गारंटी मिले ऋण से पूरे हो रहे ममता के सपने
बिना गारंटी मिले ऋण से पूरे हो रहे ममता के सपने

जागरण संवाददाता, कैथल : प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से मिलने वाले बिना शर्त ऋण से लोगों को सपने पूरे करने व बढि़या जीवन जीने में मदद मिल रही है। अब तक योजना के तहत नौ हजार 839 लोगों को 79 करोड़ 53 लाख रुपये ऋण अनुदान पर दिया जा चुका है। योजना के तहत शिशु ऋण 50 हजार तक, किशोर ऋण 50 हजार से लेकर पांच लाख तक और तरुण ऋण पांच लाख रुपये लेकर 10 लाख रुपये तक की मदद दी जाती है। बैंक के माध्यम से मिलने वाले ऋण पर अनुदान भी दिया जाता है।

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ममता ने खोला अपना बूटीक

कैथल की रहने वाली ममता अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए घर पर ही सिलाई का कार्य करती थी, लेकिन उससे जरूरतें पूरी नहीं हो रही थी। उसको अपने काम को बड़े स्तर पर करने के लिए पैसे की जरूरत थी। मुद्रा योजना उनके लिए राहत लेकर आई और उन्हें चार लाख रुपये का ऋण मिल गया। ऋण की सहायता से उन्होंने तलाई बाजार में दुकान खोली। आज दुकान पर तीन कर्मचारी काम करते हैं। पति भी प्राइवेट नौकरी छोड़ पत्नी के काम में हाथ बंटा रहा है। ममता का कहना है कि अब उनके सपने पूरे हो रहे हैं।

आर्थिक मदद मिलने से शुरु

कर पाया अपना काम

गांव फतेहपुर निवासी सुरेंद्र वालिया का कहना है कि उन्हें आर्थिक मदद मिलने के बाद खेतीबाड़ी में सहायक यंत्र बनाने का काम करने में मदद मिली। उनका काम अच्छा चल रहा है। इससे पहले यंत्रों की खरीद व बिक्री का कार्य करते थे, लेकिन अब वे अपना खुद का काम कर अच्छा पैसा कमा रहे हैं और उन्हें काम बढ़ने की पूरी उम्मीद है।

पैसा मिलने से बढ़ा काम

खुराना रोड पर फर्नीचर का काम करने वाले सतपाल ने बताया कि उनके पास काम बढ़ाने व मशीन खरीदने के पैसे नहीं थे। उन्होंने ऋण के लिए आवेदन किया और तीन लाख रुपये का ऋण मिला। इससे उन्होंने मशीन और औजार खरीदने के साथ ही कच्चा माल खरीदने में मदद मिली। पैसा नहीं होने से उनका हाथ तंग रहता था और वे अपने काम को विस्तार नहीं दे पा रहे थे। अब उनका काम अच्छा चल रहा है और परिवार को गुजर बसर भी बढि़या हो रहा है।


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