सेना में स्थायी कमीशन पर फैसले से छात्राओं में खुशी
सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर सुप्रीम कोर्ट की सहमति के बाद छात्राओं में खुशी की लहर है। कोर्ट की ओर से कमांड पोस्ट के लिए भी महिलाओं को योग्य होने के बारे में बताने के बाद अब एनसीसी केडे्टस के सेना में जाने का रास्ता आसान हो जाएगा। वहीं छात्राओं ने भी इस फैसले पर कोर्ट का आभार जताया है छात्राओं का कहना है कि इस फैसले के बाद सेना में छात्राओं की भागेदारी भी बढ़ेगी।
जागरण संवाददाता, कैथल :
सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर सुप्रीम कोर्ट की सहमति के बाद छात्राओं में खुशी की लहर है। कोर्ट की ओर से कमांड पोस्ट के लिए भी महिलाओं को योग्य होने के बारे में बताने के बाद अब एनसीसी केडे्टस के सेना में जाने का रास्ता आसान हो जाएगा। वहीं, छात्राओं ने भी इस फैसले पर कोर्ट का आभार जताया है, छात्राओं का कहना है कि इस फैसले के बाद सेना में छात्राओं की भागेदारी भी बढ़ेगी। देश सेवा के लिए अधिक महिलाएं भी आगे आ सकेगी।
अधिक छात्राएं सेना में जाने का प्रयास करेंगी :
आरकेएसडी कॉलेज की एमए की छात्रा पारूल ने बताया कि छात्राओं के लिए शुरू की गई एनसीसी से पहले भी काफी सुविधाएं मिल रही है। अब सेना में कमांड पोस्ट के फैसले के बाद एनसीसी के माध्यम से और अधिक छात्राएं सेना में जाने का प्रयास करेंगी। यह काफी सराहनीय है। केंद्र सरकार को इस फैसले पर जल्द अमल कर केंद्रीय स्तर की कमेटी का गठन करें।
महिलाओं की और अधिक भागेदारी बढ़ेगी :
एमए की छात्रा हीना कंसल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सेना में महिलाओं की और अधिक भागेदारी बढ़ेगी। छात्रा ने कहा कि इस फैसले को लेकर महिला अधिकारियों ने कई वर्षों से कोर्ट में मामला था, जो सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और अब महिलाओं के पक्ष में यह फैसला सुनाया है। इससे छात्राओं से लेकर महिलाओं को काफी लाभ मिलेगा।
एक प्रगतिशील निर्णय
छात्रा संतोष ने बताया कि इस फैसले के बाद छात्राओं की देश सेवा करने में और अधिक भागेदारी सुनिश्चित होगी। माननीय कोर्ट का यह एक प्रगतिशील निर्णय है। इस फैसले के बाद सेना में महिलाओं को एक अच्छा करियर मिलेगा।
यह ऐतिहासिक फैसला
आरकेएडी कॉलेज में एनसीसी के इंचार्ज लेफ्टिनेंट रघुबीर लांबा ने बताया कि पहले भी एनसीसी छात्राओं के लिए सरकार की ओर से कई सुविधाएं दी जा रही है, लेकिन इस फैसले से थलसेना में महिलाओं को यह स्थायी कमीशन की कोई सुविधा नहीं थी, यह ऐतिहासिक फैसला है।