गांव गांव सर्वे कर योजनाओं की सच्चाई सामने लाएगी समिति
गरीबों के लिए लागू की जा रही योजनाओं की सच्चाई जनता के सामने लाने के लिए जन कल्याण समिति ने सर्वे करने का फैसला किया है। 10 अगस्त से सर्वे की शुरुआत हो चुकी है जो कि 21 सितंबर तक चलेगा। पहले चरण में प्रदेश के 11 जिलों में सर्वे किया जाएगा। समिति के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश टांक ने बताया कि युवाओं की अलग अलग टीमें गठित की गई हैं जो कि सरकार की योजनाओं की सच्चाई का पता लगाएंगी।
जागरण संवाददाता, कैथल : गरीबों के लिए लागू की जा रही योजनाओं की सच्चाई जनता के सामने लाने के लिए जन कल्याण समिति ने सर्वे करने का फैसला किया है। 10 अगस्त से सर्वे की शुरुआत हो चुकी है जो कि 21 सितंबर तक चलेगा।
पहले चरण में प्रदेश के 11 जिलों में सर्वे किया जाएगा। समिति के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश टांक ने बताया कि युवाओं की अलग अलग टीमें गठित की गई हैं जो कि सरकार की योजनाओं की सच्चाई का पता लगाएंगी।
कैथल में अब तक 10 गांवों में सर्वे किया जा चुका है, जिसमें जो सच्चाई सामने आई है, वह डराने वाली है। सर्वे के माध्यम से पता चला है कि किसी भी योजना का लाभ पात्र व्यक्ति को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे व्यक्ति ही सारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं जो कि साधन संपन्न हैं। सबसे बड़ी समस्या बीपीएल कार्ड बनने की है। ज्यादातर कल्याणकारी योजनाएं भी बीपीएल कार्ड से जुड़ी हुई हैं। सर्वे के दौरान सामने आया कि जिनके घरों में किसी भी साधन की कमी नहीं है, वह बीपीएल कार्ड का लाभ ले रहे हैं। जिनके पास दो वक्त की रोटी नहीं है वह बीपीएल कार्ड बनाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी मिले जिनसे गांव में कॉलोनी, बीपीएल कार्ड बनवाने व पेंशन जैसी सुविधाओं के बदले में 10-10 हजार रुपये तक की मांग की जा रही है। ऐसे लोगों की पहली सूची तैयार कर डीसी को ज्ञापन के माध्यम से सौंप दी गई है और कार्रवाई की मांग की गई है। इस मौके पर बेबी नैना, कविता कसान, राजबाला, महावीर ¨सह, संजय सिरसल महेंद्र व राकेश मौजूद थे।
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सरकार को नहीं गरीबों की ¨चता
सरकार कल्याणकारी योजनाएं तो खूब चला रही हैं, लेकिन पात्र व्यक्ति को लाभ मिल रहा है या नहीं इसकी ¨चता सरकार को नहीं है। लोगों के बीच जाकर एहसास हुआ है कि जो योजनाएं सरकार ने चलाई हुई हैं, पात्र व्यक्तियों को तो उनके बारे में जानकारी तक नहीं है। ऐसे में वह इन योजनाओं का लाभ कैसे प्राप्त करेंगे। यह कड़वा सच है जो कि गरीबों के शोषण का असली कारण हैं, क्योंकि उनका हक तो कोई और ही खा रहा है।