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गुणीप्रकाश पर हमले में विक्रम का नहीं कोई लेना देना

जागरण संवाददाता, कैथल : भारतीय किसान यूनियन गुणिया गुट के प्रदेशाध्यक्ष पर हुए हमले के माम

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Oct 2017 07:07 PM (IST)Updated: Mon, 23 Oct 2017 07:07 PM (IST)
गुणीप्रकाश पर हमले में विक्रम 
का नहीं कोई लेना देना
गुणीप्रकाश पर हमले में विक्रम का नहीं कोई लेना देना

जागरण संवाददाता, कैथल : भारतीय किसान यूनियन गुणिया गुट के प्रदेशाध्यक्ष पर हुए हमले के मामले में आरोपी बनाए गए भाकियू चढूनी गुट के युवा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम कसाना के भाई सुखबीर कसाना एसपी से मिले। सुखबीर कसाना पेशे से वकील हैं और एसपी से मिलने के दौरान कुछ वकील भी उनके साथ थे।

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सुखबीर ने एसपी से उनके भाई विक्रम कसाना और उन पर दर्ज किए गए मुकदमों को झूठा बताया। मुकदमें रद करने के साथ ही उन्होंने एसपी से खुद की और परिवार की सुरक्षा की मांग भी की। उन्होंने कहा कि गुणी प्रकाश पर हमले करने वालों से उनका कोई लेना देना नहीं है। उनको दोनों भाईयों को बेवजह फंसाया जा रहा है। गुणी प्रकाश पर हमला करने वाले उसके खुद के गांव के लोग हैं और यह उनका आपसी मामला हैं।

गुणी प्रकाश पर हमले के मामले में उन दोनों भाईयों का नाम पहले से चल रहे विवाद में शामिल लोगों के कहने पर किया गया हैं। गुणी प्रकाश भी इन लोगों से मिला हुआ है। इन लोगों के साथ विक्रम का शराब के ठेकों को लेकर पुराना विवाद है जो पिछले कई सालों से चल रहा है। पहले भी ये लोग उनके ऑफिस में तोड़फोड़ और घर में घुसकर जान से मारने की धमकी दे चुके हैं। इसी मामले में ये रंजिश निकाल रहे हैं। एसपी ने सुखबीर कसाना को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। दूसरी तरफ गुणी प्रकाश के समर्थक भी हमले करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर एसपी से मिले हैं।

बॉक्स

गुणी प्रकाश है मामले

का मास्टर माइंड

विक्रम कसाना को भाकियू के साथ जोड़ने वाले गुणी प्रकाश ही हैं, लेकिन जब विक्रम को पता चला कि गुणी प्रकाश किसानों के नाम पर दलाली करता है तो विक्रम इनसे अलग होकर चढूनी गुट में शामिल हो गया। यहीं से पूरा मामला शुरू हुआ। उसके बाद कुछ शराब के ठेकेदारों ने अपने फायदे के लिए उनके भाई को पार्टनर बनाते हुए उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया। जब इनसे नाता तोड़ा तो ये खुद विक्रम के दुश्मन बन गए। इन्हीं लोगों ने गुणी प्रकाश के साथ मिलकर ढांड में उनके भाई के विरोध में जुलूस निकाला और खुलेआम धमकियां दी। उसके बाद दूसरे ठेकेदारों ने फिर विक्रम को पगड़ी पहनाकर सम्मानित कर दिया जो फिर इनको नागवार गुजरा। अब ये लोग इनकी जान के पीछे पड़े हुए हैं। कई बार दोनों ठेकेदारों के गुट आपस में भिड़ चुके हैं।


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