गांव पाई से दो प्रत्याशी, जजपा से राजू पाई और बसपा की टिकट से अनीता ढुल चुनावी मैदान में
प्रदेश में दूसरे नंबर का सबसे बड़ा गांव पाई पूंडरी विधानसभा क्षेत्र में आता है। इस गांव में 16 हजार के करीब मतदाता हैं। विधानसभा हो या लोकसभा हर चुनाव में इस गांव के मतदाताओं का अहम रोल रहता है। खेल व शिक्षा ही नहीं बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी इस गांव की पहचान नहीं है।
जागरण संवाददाता, कैथल :
प्रदेश में दूसरे नंबर का सबसे बड़ा गांव पाई पूंडरी विधानसभा क्षेत्र में आता है। इस गांव में 16 हजार के करीब मतदाता हैं। विधानसभा हो या लोकसभा हर चुनाव में इस गांव के मतदाताओं का अहम रोल रहता है। खेल व शिक्षा ही नहीं बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी इस गांव की पहचान नहीं है।
वर्ष 1977 से लेकर 2005 तक इस गांव के नाम से पाई विधानसभा क्षेत्र रहा है। जहां सात चुनावों में पांच बार इस गांव को सरकारों के मंत्रीमंडल में स्थान मिला है। ये अलग बात है कि इस गांव से नेताओं ने चुनाव तो लड़ा, लेकिन जीत नसीब नहीं हो पाई है। चाहे वह पूर्व आइएएस हरपाल सिंह ढुल हो या फिर 2004 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर लड़े सज्जन सिंह ढुल। इस बार भी इस गांव से जजपा की टिकट पर राजू पाई तो बसपा की टिकट पर अनीता ढुल चुनावी मैदान में हैं।
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गांव में हर जगह चुनावी
चर्चा में व्यस्त ग्रामीण
जिले के सबसे बड़े गांव में अब चुनावों के अंदर राजनीति माहौल नजर आ रहा है। बस अड्डा हो चाहे खेल स्टेडियम हर जगह चुनाव को लेकर चर्चा है। बस अड्डा के सामने ताश खेल रहे बुजुर्ग बोले इबै तो कुछ भी पता नहीं चल रहा है, अगले दो-तीन दिन में तस्वीर साफ हो जाएगी कि किसका माहौल ज्यादा है। अब तो नेता गांव की गलियों में घूम रहे हैं, सभी से राम-राम हो रही है, कोई भाजपा तो कोई कांग्रेस, जजपा व इनेलो की बात कर रहे हैं। रामलाल व रामदिया बताते हैं कि गांव में चुनावी जनसभाएं रोजाना हो रही हैं। वोटर अभी साइलेंट है, वोट जिस दिन डलेंगे उसी दिन पता लगेगा की माहौल किसका ज्यादा है।
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कबड्डी के क्षेत्र में बनाई
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
कबड्डी के खेल में इस गांव के युवाओं ने विशेष पहचान बनाई है। जहां प्रो कबड्डी में गांव से आठ से दस खिलाड़ी खेल रहे हैं, वहीं लड़कियों की टीम ने भी न केवल राज्य स्तर पर बल्कि नेशनल स्तर पर भी ख्याति प्राप्त की है। कई खिलाड़ी प्रदेश व देश की टीम में भी खेलती हैं।
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गांव में ये मुख्य समस्याएं
गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी की निकासी की है। निकासी न होने के कारण तालाब पूरी तरह से ओवरफ्लो हैं। वहीं गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो बनाया गया है, लेकिन भवन खस्ताहाल है। गांव में बस सुविधाओं की कमी है। खेल स्टेडियम की कमी भी खिलाड़ियों को खल रही है।