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    कैथल में रिश्वत मामले में बिजली कर्मी सहित दो आरोपी दोषी करार, कोर्ट ने सुनाई तीन साल का सजा

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 02:37 PM (IST)

    कैथल में रिश्वतखोरी के एक मामले में, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने बिजली कर्मी सहित दो दोषियों को तीन-तीन साल की कैद और जुर्माना की सजा सुनाई। शिकायतकर्ता जसबीर सिंह से ट्रांसफार्मर लगवाने के लिए रिश्वत मांगी गई थी। राज्य चौकसी ब्यूरो ने कार्रवाई करते हुए रिश्वत लेते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया था। अदालत ने सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया और एक अन्य आरोपी को बरी कर दिया।

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    रिश्वत मामले में बिजली कर्मी सहित दो को तीन साल की सजा सुनाई।

    जागरण संवाददाता, कैथल। अतिरिक्त सैशन जज डॉ. नंदिता कौशिक ने रिश्वत के एक मामले में सजा सुनाते हुए बिजली कर्मी सहित दो दोषियों को तीन-तीन साल की कैद और 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इसी केस में एक अन्य आरोपित को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है जिसकी पैरवी एडवोकेट सचिन जैन ने की थी।

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    इस बारे में गांव मलिकपुर निवासी जसबीर सिंह ने एसवीबी अंबाला में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत 10 जून 2022 को केस दर्ज करवाया था। स्टेट की ओर से केस की पैरवी एडीए कुलदीप गर्ग ने की। कुलदीप गर्ग ने बताया कि शिकायतकर्ता जसबीर के खेत में 25 केवी का ट्रांसफार्म रखा हुआ है, जबकि उसकी मोटर का लोड 30 केवी का है। ओवरलोड की वजह से उसका ट्रांसफार्मर जल गया था। जसबीर ने 31 मई 2022 अपनी माता रेशमा देवी के नाम से नया ट्रांसफार्म 63 केवी का रखवाने के लिए एसडीओ बिजली बोर्ड सीवन के नाम दरखास्त दी थी।

    आरोप है कि 63 केवी का नया ट्रांसफार्मर रखने के लिए प्राइवेट बिजली मिस्त्री परमजीत उर्फ पम्मा ने उससे 9000 रुपये रिश्वत की मांग की। कहा कि वह उसका ट्रांसफार्मर लगवा देगा। इसकी शिकायत जसबीर ने राज्य चौकसी ब्यूरो अंबाला को की।

    ब्यूरो के डीएसपी अजय कुमार ने एक रेडिंग पार्टी तैयार की जिसमें जसबीर को भी शामिल किया गया। योजना के अनुसार जैसे ही जसबीर ने परमजीत को रिश्वत की राशि के 9000 रुपये दिए तभी एसवीबी की टीम ने उनको दबोच लिया और मौके से रिश्वत में दी गई राशि भी बरामद कर ली।

    इसके बाद एसवीबी ने केस दर्ज करके उसको गिरफ्तार कर लिया और चालान अदालत के सुपुर्द कर दिया। परमजीत ने बताया कि इस जालसाजी में पवन कुमार माली और मदन लाल भी शामिल हैं। एडीजे डॉ. नंदिता कौशिक ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद परमजीत और पवन को रिश्वत का दोषी पाया तथा दोनों को तीन-तीन साल की कैद और 20-20 हजार पर जुर्माने की सजा सुनाई। मामले में एक अन्य आरोपित मदन लाल निवासी कैथल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। दोनों दोषियों ने जुर्माने की राशि जमा करवा दी है। मामले में कुल 27 गवाह पेश किए गए।