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गुरु के ज्ञान पर जो भी अमल कमाएगा,दिन फिरेंगे उसके

जागरण संवदादता, कैथल : साहित्य सभा की तरफ से आरकेएसडी कॉलेज में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। सभा

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 09:56 AM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 09:56 AM (IST)
गुरु के ज्ञान पर जो भी अमल कमाएगा,दिन फिरेंगे उसके
गुरु के ज्ञान पर जो भी अमल कमाएगा,दिन फिरेंगे उसके

जागरण संवदादता, कैथल : साहित्य सभा की तरफ से आरकेएसडी कॉलेज में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। सभा के प्रधान अमृत लाल मदान ने इसकी अध्यक्षता की। गोष्ठी का संचालन एवं शुभारंभ करते हुए डॉक्टर प्रद्युम्न भल्ला ने गुरु की महिमा का बखान इन पंक्तियों के साथ किया, गुरु के ज्ञान पर जो भी अमल कमाएगा, दिन फिरेंगे उसी के आनंद आएगा, प्यार जो भी हर बशर से करना सीख गया, उसी का जीवन जमाने में सफल जाएगा।

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अच्छी सोहबत के बारे में रिसाल जांगड़ा ने कहा अच्छी सोहबत काम आई एक नसीहत काम आई। पटियाला से पधारे हरिदत्त हबीब ने ना मुकम्मल रही गजल को लेकर कहा, हो न पाई मुकम्मल उम्र भर मुझसे गजल, मैं तेरे चेहरे सा एक मतला लिए फिरता रहा। दिनेश बंसल दानिश ने अपनी गजल के शेयरों में यह कहा, अपनी एक पहचान रखो, होठों पर मुस्कान रखो, जीवन लंबा रस्ता है, कम से कम सामान रखो।

किसी जमाने के चले जाने का दुख मधु गोयल के इन शब्दों में देखिए, दुख इस बात का नहीं जब किसी पंछी को पिजरे में बंद कर दिया जाता है। गुरु के महत्व पर सतीश शर्मा ने इन पंक्तियों में प्रकाश डाला, गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता, जीवन रूपी कमल नहीं खिलता। माता पिता की सेवा करना हमारा फर्ज है, एहसान नहीं यह भावना रामफल गौड की गजल के इस शेर में व्यक्त हुई, टाइम का ज्ञान नहीं से, जानते आदर मान नहीं से, मात पिता की सेवा करना, फर्ज तेरा से शान नहीं सै।

आजकल के लोगों की फितरत को दर्शाते हुए श्याम सुंदर गौड ने कहा हथेली पर सरसों जमाते हैं लोग एक दूसरे को नीचा दिखाते हैं लोग। रिश्वत पर व्यंग करते हुए हकीम चतुर्भुज बंसल ने कहा, जय रिश्वत खोरी तेरी जय रिश्वतखोरी। जिदगी से रूबरू होते हुए डॉ तेजिदर ने कहा जिदगी अपना परिचय करा अपनी आईडी बता मैं तुझे खोलते हुए देखना चाहता हूं अपना पासवर्ड बता।

नारी की स्थिति को बयान करते हुए डॉ हरीश जी ने कहा, तू है कितनी सशक्त नारी, तू है फिर भी अबला। अमृत लाल मदान की बाल कविता की पंक्तियां कुछ इस तरह थी, बापू जी के बंदर तीन, हर इंसान के अंदर तीन। गोष्ठी के दौरान गत माह हुए वार्षिक कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह की समीक्षा की गई सतीश शर्मा को विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर उन्हें बधाई दी गई व प्रकाशित पुस्तकों का आदान प्रदान किया गया। गोष्ठी में सम्मान समारोह को लेकर प्रद्युम्न भल्ला, अमृत लाल मदान, कमलेश शर्मा एवं हरीश झंडयी ने अपनी अपनी टिप्पणियां व्यक्त की। गोष्ठी में कवियों के इलावा नीरू महता तीरथराम चावला दिलबाग सिंह उषा गर्ग महेंद्र पाल द्विवेदी सुखपाल मलिक एवं कमलेश शर्मा ने भी अपनी अपनी रचनाओं से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।


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