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35 वर्षो से रावण का किरदार निभा रहे जगजीत

श्री ग्यारह रुद्री मंदिर में आयोजित होने वाले रामलीला मंचन में सिख समाज से संबंध रखने वाले पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर जगजीत सिंह रोल के माध्यम से रामायण के चरित्रों को अपना रहा है। उनका कहना है कि बेशक वह सिख धर्म से संबध रखते है लेकिन भगवान श्री राम के आदर्शाें से पूरे विश्व को अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिली ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 09:41 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 06:30 AM (IST)
35 वर्षो से रावण का किरदार निभा रहे जगजीत
35 वर्षो से रावण का किरदार निभा रहे जगजीत

कमल बहल, कैथल : श्री ग्यारह रुद्री मंदिर में आयोजित होने वाले रामलीला मंचन में सिख समाज से संबंध रखने वाले पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर जगजीत सिंह रोल के माध्यम से रामायण के चरित्रों को अपना रहा है। उनका कहना है कि बेशक वह सिख धर्म से संबध रखते है, लेकिन भगवान श्री राम के आदर्शाें से पूरे विश्व को अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिली है। कोई भी मजहब इंसान को एक-दूसरे से अलग नहीं करता। धर्म चाहे कोई भी हो, लेकिन हिदू धर्म के ग्रंथ रामलीला से बुराई पर अच्छाई की जीत और उनके चरित्रों से अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा मिलती है।

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पिछले 35 वर्षाें से रामलीला में मंचन से हिदू धर्म की परंपराओं का निर्वाहन करते आ रहा है। रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले सरदार जगजीत सिंह की पहचान उनके दमदार अभिनय से भी है। इस पात्र में वे इस कदर रम चुके हैं कि रावण के सभी संवाद उन्हें कंठस्थ हैं। भले ही रावण का किरदार एक असुर का है, लेकिन इसे निभाते हुए आत्मिक शांति मिलती है। अच्छाई-बुराई का अहसास होता है और मन पवित्र रहता है। रावण एक जोशीला किरदार है, जो सब जानते हुए भी अपनी मुक्ति का साधन तलाशने के लिए प्रभु से बैर करता है। बता दें कि जगजीत सिंह हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर है और वर्तमान में कुरूक्षेत्र में तैनात हैं।

दसवीं कक्षा से ही हुआ रुझान :

जगजीत सिंह ने बताया कि वे दसवीं कक्षा में था, जब पहली बार उन्होंने रामलीला में रावण का किरदार अदा किया। शुरूआत में उन्हें थोड़ी हिचकिचाहट हुई, लेकिन जब इस पात्र के अंदर घुसना शुरू हुए तो उन्होंने सृष्टि के सबसे बड़े विद्वान रावण के गुणों को अपने जीवन में अपना लिया।

यह है दिनचर्या :

उन्होंने कहा कि वे सुबह साढ़े पांच बजे उठते हैं, स्नान करने के बाद सबसे पहले गुरुद्वारे जाते हैं। वहां अरदास करने में समय लेते हैं। उसके बाद घर के पास ही हनुमान मंदिर में पूजा करते हैं। यह रुटीन करीब तीस साल से चला आ रहा है। गोशालाओं में गायों की सेवा करते हैं। श्री सनातन धर्म मंदिर में भी जाते हैं।

बेटे को नहीं था पंसद :

उन्होंने बताया कि रावण का अभिनय करने के बाद बेटे विक्रम के दोस्तों ने उसे चिढ़ाना शुरू कर दिया। परेशान होकर उसने एक दिन घर में आकर कहा कि पापा आप यह रोल नहीं करोगे। मेरे दोस्त मुझे रावण का बेटा कहकर चिढ़ाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे उसे समझ आने लगी सब सहज हो गया। रामलीला के मंचन के लिए वे हर वर्ष दस दिनों की छुट्टी लेते हैं।

कई रामायण पढ़ी :

जगजीत सिंह बताते हैं कि रावण का किरदार निभाने के लिए और उनके संवाद सीखने के लिए उन्होंने रामायण की अलग-अलग कई पुस्तकें पढ़ी हैं। वह इसे लगातार पढ़ते रहते हैं ताकि निरंतर निखार आता रहे। उन्हें संवाद तो कंठस्थ हैं, लेकिन प्रोमीटर के बिना काम नहीं करना चाहिए।

जीवन में आया परिवर्तन

उन्होंने बताया कि जब से उन्होंने रावण का किरदार निभाना शुरू किया है, उनके जीवन में परिवर्तन आ गया है। भगवान ने उन्हें इच्छाओं से बढ़कर दिया है और वे पूरी तरह संतुष्ट हैं। हायर सेकेंडरी तक पढ़े होने के बावजूद रामायण के अध्ययन से उन्हें जीवन दर्शन मिला है।


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