कृषि विभाग के अधिकारियों की गाड़ी का प्रदूषण सर्टिफिकेट मिला एक्सपायर
सीवन गांव में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए किसानों को जागरूक करने गई कृषि विभाग की टीम के वाहनों का प्रदूषण सर्टिफिकेट एक्सपायर मिला। यह देख किसान भड़क गए।
जागरण संवाददाता, कैथल :
सीवन गांव में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए किसानों को जागरूक करने गई कृषि विभाग की टीम के वाहनों का प्रदूषण सर्टिफिकेट एक्सपायर मिला। यह देख किसान भड़क गए। किसानों ने कहा कि बिना जांच किए किसानों के तो चालान विभागीय अधिकारी कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों के खुद के वाहन के प्रदूषण सर्टिफिकेट सही नहीं है, ऐसे में ऐसे अधिकारी क्या किसानों को प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूक करेंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। एकत्रित किसानों ने अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई।
बढ़ते प्रदूषण से लोगों का
स्वास्थ्य हो रहा प्रभावित
दीपावली पर्व के बाद चल रहे इस मौसम से लोगों को जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है। खासकर सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को दिक्कत आ रही है। इसके लिए किसानों को धान के बचे अवशेष न जलाने को लेकर जागरूक किया जा रहा है। रोजाना किसी न किसी गांव में कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम गांव का दौरा कर रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम शनिवार को किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक करने के लिए सीवन गांव में पहुंची। यहां सरपंच के निवास पर किसानों की बैठक ली। जब अधिकारी वहां किसानों को जागरूक कर रहे थे तो किसानों ने अधिकारियों से स्वयं की गाड़ी को लेकर प्रदूषण सर्टिफिकेट दिखाने की बात कही। पहले तो कर्मचारी व अधिकारी किसानों को गुमराह करते रहे, लेकिन जब किसान अपनी बात से टस से मस नहीं हुए तो अधिकारी बोले हम जल्दी में भिवानी ये कैथल आए हैं, इसलिए कार्यालय में सर्टिफिकेट पड़ा हुआ है। किसानों को जब अधिकारियों की बात पर विश्वास नहीं हुआ तो कार्यक्रम में मौजूद कृष विभाग के निदेशक जगदीप बराड़ ने चालक को सर्टिफिकेट दिखाने की बात की। जब सर्टिफिकेट सामने आया तो चौका देने वाला था। यह प्रदूषण सर्टिफिकेट एक्सपायर था। यह सर्टिफिकेट मई माह में खत्म हो चुका है। यह देखकर किसानों ने हैरानी जताई। इस पर निदेशक ने गाड़ी चालकों को फटकार लगाई।
गाड़ी चालकों की लापरवाही
कृषि विभाग के डायरेक्टर डॉ. जगदीप सिंह ने गाड़ी चालकों की लापरवाही मनाते हुए कहा कि सभी को निर्देश जारी किए गए हैं कि अपनी-अपनी गाड़ियों के प्रदूषण सर्टिफिकेट की जांच करवाते हुए उसे दुरुस्त करवाएं।