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हेपेटाइटिस-सी के मरीजों की संख्या में प्रदेशभर में अव्वल कैथल, दूसरे नंबर पर फतेहाबाद

हेपेटाइटिस-सी (काला पीलिया) के मरीजों की पहचान के लिए स्क्रीनिग होगी। इसमें पुष्टि होने पर मरीजों को जिला नागरिक अस्पताल रेफर किया जाएगा। जहां दोबारा से जांच कराते हुए बीमारी सामने आने पर इलाज शुरू होगा। यहां जांच और इलाज पूरी तरह से निश्शुल्क होगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 06:10 AM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 06:10 AM (IST)
हेपेटाइटिस-सी के मरीजों की संख्या में प्रदेशभर में अव्वल कैथल, दूसरे नंबर पर फतेहाबाद
हेपेटाइटिस-सी के मरीजों की संख्या में प्रदेशभर में अव्वल कैथल, दूसरे नंबर पर फतेहाबाद

जागरण संवाददाता, कैथल : हेपेटाइटिस-सी (काला पीलिया) के मरीजों की पहचान के लिए स्क्रीनिग होगी। इसमें पुष्टि होने पर मरीजों को जिला नागरिक अस्पताल रेफर किया जाएगा। जहां दोबारा से जांच कराते हुए बीमारी सामने आने पर इलाज शुरू होगा। यहां जांच और इलाज पूरी तरह से निश्शुल्क होगा। इस बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रदेशभर में यह जिला अव्वल स्थान पर है, दूसरे नंबर पर फतेहाबाद तो तीसरे स्थान पर जींद जिला है। असंध-करनाल बेल्ट में भी इस बीमारी के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। कैथल जिले में अब तक 5100 मरीजों का इलाज पूरा हो चुका है, जबकि एक अनुमान के अनुसार मरीजों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा है। जिले का राजौंद खंड तो ऐसा है, जहां 20 से भी ज्यादा गांव में मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। कई घर तो ऐसे हैं जहां घर के सभी सदस्य इसकी चपेट में हैं। इसी प्रकार गुहला-चीका और कैथल ब्लॉक के भी कई गांव में बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सिविल अस्पताल में इस बीमारी के मरीजों के इलाज को लेकर दो डॉक्टरों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया हुआ है।

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मरीजों की पहचान के लिए लगाए जा रहे कैंप

हेपेटाइटिस-सी के मरीजों की पहचान को लेकर विभाग की तरफ से कैंप लगाए जा रहे है। शहर और गांव के पीएचसी व सीएचसी केंद्र, जिला जेल सहित अन्य जगह कैंप लगाए जाते हैं। इनमें हेपेटाइटिस के मरीजों की पहचान होने पर उन्हें जिला नागरिक अस्पताल रेफर किया जाता है, जहां दोबारा से जांच कराकर पुष्टि होने पर इलाज शुरू कर दिया जाता है। अब पिछले दो माह से कूपन खत्म हो रहे हैं, पहले अस्पताल से कूपन लेकर बाहर टेस्ट प्राइवेट लैब में टेस्ट होता था, लेकिन टेंडर खत्म होने के बाद अब नया टेंडर किसी कंपनी से नहीं हुआ है। तब तक प्राथमिक चरण के बाद मरीजों को कूपन आने के बाद वेटिग पर रखा गया है। जैसे ही कूपन मिलने शुरू होंगे तो इसके बार मरीजों को कॉल करते हुए अस्पताल बुलाकर जांच कराई जाएगी। कूपन से होने वाली जांच में यह पता लग जाता है कि हेपेटाइटिस-सी की बीमारी वायरस कहां तक फैला हुआ है।

ऐसे फैलता है

- दूषित इंजेक्शन का उपयोग करना

- दूषित रेजर या टूथब्रश का इस्तेमाल

- पीड़ित गर्भवती महिला से बच्चे को होना

- दूषित रक्तदान, अंगदान या लंबे समय तक डायलिसिस पर रहना

- दूषित सुई से टैटू बनवाना।

- इंजेक्शन से नशीली दवाओं का प्रयोग करना

- कोई भी ऐसा कार्य जिसमें खून से खून का संपर्क हो

लक्षण

भूख कम लगना, थकान, पेट दर्द, पीलिया, खुजली और फ्लू आदि।

सावधानी

- शराब बिलकुल न पीएं

- लीवर में वसा के इकट्ठे होने को नियंत्रित करें

- पानी अधिक मात्रा में लें

- जांच नियमित रूप से करवाएं।

- आराम करें और नींद पूरी लें

- कच्चा या अधपका भोजन न खाएं। वर्जन-

स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन डॉ. सुरेंद्र नैन ने बताया कि हेपेटाइटिस के मरीजों की पहचान को लेकर कैंप लगाए जा रहे हैं। पुष्टि होने पर सिविल अस्पताल रेफर करते हुए इलाज शुरू किया जा रहा है।


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