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जांच कमेटी ने वार्ड नंबर तीन की गलियों में तलाशे भ्रष्टाचार के सबूत

वार्ड तीन, पांच और आठ में गलियों के पक्की करने में हुए भ्रष्टाचार के लिए गठित की चार सदस्यीय कमेटी वार्ड तीन में जांच के लिए पहुंची। जांच में पाया गया कि सुभाषनगर के दादा खेड़े के नजदीक भूती वाल्मीकि की जिस गली के लिए ठेकेदार को भुगतान किया गया था, उसका निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 08:37 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 08:37 PM (IST)
जांच कमेटी ने वार्ड नंबर तीन की गलियों में तलाशे भ्रष्टाचार के सबूत
जांच कमेटी ने वार्ड नंबर तीन की गलियों में तलाशे भ्रष्टाचार के सबूत

जागरण संवाददाता, कैथल : वार्ड तीन, पांच और आठ में गलियों के पक्की करने में हुए भ्रष्टाचार के लिए गठित की चार सदस्यीय कमेटी वार्ड तीन में जांच के लिए पहुंची। जांच में पाया गया कि सुभाषनगर के दादा खेड़े के नजदीक भूती वाल्मीकि की जिस गली के लिए ठेकेदार को भुगतान किया गया था, उसका निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। 15 जनवरी को वर्क ऑर्डर हुए थे, जबकि ठेकेदार ने इस गली की जगह एक अन्य गली का निर्माण कर दिया। जांच टीम में शामिल पार्षद मोहन शर्मा, पार्षद के देवर केसर, एमई राजकुमार तथा जेई प्रदीप ने जांच की।

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जांच टीम के साथ चेयरपर्सन सीमा कश्यप के पिता सुरेश कश्यप भी मौजूद रहे। टीम ने सबसे पहले उन दो गलियों का निरीक्षण किया, जिनको लेकर विवाद था। यह तो स्पष्ट था कि ठेकेदार और अधिकारियों ने मिलीभगत की थी। एमई राजकुमार ने अधिकारियों के बचाव में पार्षद के देवर को संतुष्ट करने के कई बार प्रयास किए, लेकिन उन्होंने दो टूक जवाब दिया कि उनके वार्ड में गलियों के लिए जो 15 लाख से ज्यादा रुपये मिले हैं, उसका एक एक रुपया उनके वार्ड में लगना चाहिए। एमई ने सोमवार से भूती देवी गली के निर्माण की बात कही, जबकि जांच अधिकारी मोहन ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती गली का निर्माण ठेकेदार ना करे। वह तीन वार्ड की जांच रिपोर्ट निर्णायक मंडल को सौंप देंगे उसके बाद ही गलियों के निर्माण के संबंध में कोई फैसला हो पाएगा।

..तो हड़प जाते पैसे

पार्षद के देवर और शिकायतकर्ता केसर ने कहा कि एक वर्ष से भी ज्यादा समय हो चुका है उनको धक्के खाते हुए। जब वर्क आर्डर मिला तो भी ठेकेदार ने उस गली का निर्माण नहीं किया, जिसका किया जाना चाहिए था। कई महीनों बाद भी 15 लाख में से छह लाख रुपये ही खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गलियों के निर्माण के बाद अधिकारी और ठेकेदार बचे हुए पैसे को हड़पने के चक्कर में थे।

बिना जरूरत ही रिवाइज किए गए राशि

दो गलियों के निर्माण पर शुरुआत में करीब साढे छह लाख राशि खर्च की जानी थी, जबकि राशि को रिवाइज करवाते हुए 15 लाख से ज्यादा किया गया। एक गली का निर्माण हो चुका है दूसरी गली पर भी पूरा पैसा खर्च नहीं होगा। ऐसे में सवाल उठता है, कार्यो के लिए जरूरत से ज्यादा राशि क्यों रिवाइज की गई। अब निर्माण के बाद बचने वाली राशि को लेकर ही विवाद है।

पुरानी गलियों और नालों के निर्माण में भ्रष्टाचार

वार्ड तीन में जब जांच टीम ने कई अन्य गलियों का निरीक्षण किया तो लोगों ने बताया कि यहां कुछ भी नियमानुसार नहीं हुआ है। ठेकेदार ने मनमर्जी से कार्य किया। किसी भी गली से पानी की निकासी का ध्यान नहीं रखा गया है, जो तकनीकी खामी है, जिसके लिए जेई भी जिम्मेदार है। नालों के निर्माण में भी खामियां मिलीं।


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