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पाइप लीकेज से मकानों में आई दरार, जांच को लेकर पहुंची टीम

वार्ड तीन की कालोनी में लीकेज के चलते जनस्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण मकानों में आई दरार को लेकर बुधवार को जांच के लिए एक दल कालोनी पहुंचा। जांच टीम में पंचायती राज कार्यकारी अभियंता राकेश गोयल, भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जसवंत पठानिया, किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष अजीत चहल, कार्यकारी अभियंता सहित अन्य शामिल थे। 26 संवाद सहयोगी, कलायत : वार्ड तीन की कालोनी में लीकेज के चलते जनस्वास्थ्य विभाग की

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 May 2018 08:28 AM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 08:28 AM (IST)
पाइप लीकेज से मकानों में आई दरार, जांच को लेकर पहुंची टीम
पाइप लीकेज से मकानों में आई दरार, जांच को लेकर पहुंची टीम

फोटो नं. 26

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संवाद सहयोगी, कलायत : वार्ड तीन की कालोनी में लीकेज के चलते जनस्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण मकानों में आई दरार को लेकर बुधवार को जांच के लिए एक दल कालोनी पहुंचा। जांच टीम में पंचायती राज कार्यकारी अभियंता राकेश गोयल, भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जसवंत पठानिया, किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष अजीत चहल, कार्यकारी अभियंता सहित अन्य शामिल थे। निरीक्षण के बाद टीम ने रिपोर्ट तैयार करते हुए उच्चाधिकारियों को भेज दी है। इस बारे में कालोनी निवासी प्रवीण कुमार ने प्रशासन के समक्ष अपनी शिकायत रखी थी। पार्षद सुरेश वाल्मीकि व अन्य ने कहा कि लीकेज के चलते मकानों में दरार आई है। लोगों का कहना है कि सीवर लाइन की खुदाई ने विभागीय लापरवाही का आइना टीम को दिखा दिया है। पेयजल व सीवर लाइन नियमों के अनुरूप नहीं मिली।

कालोनी निवासी प्रवीन ने कहा कि जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस बारे में कई बार शिकायत दी, लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। कालोनी में सीवर लाइन बिछाने में नियमों को ताक पर रखा गया है। न कोई लेवल और न कोई निर्धारित गहराई। निकासी की बजाए गंदा पानी मकानों की दीवार व फर्श में घुस रहा है। रमेश सरीन, कुलदीप ¨सह का आरोप है कि जन स्वास्थ्य विभाग मनमानी करते हुए गरीब तबके को सताने में लगा है। स्वयं की गलतियों को छिपाने के लिए अधिकारी रिकार्ड से छेड़छाड़ कर रहे है। विभाग के पत्र क्रमांक 471 में धर्मपाल पुत्र ¨सघा राम के नाम से जो कनेक्शन दर्शाया गया है वह हकीकत से परे है। इस निजी कनेक्शन को दो सितंबर 2002 को मंजूर दर्शाया गया। जबकि आरटीआइ में इस जानकारी को संबंधित रिकार्ड से अलग बताया गया। चौंकाने वाला पहलु यह है कि पिता धर्मपाल का निधन चार जून 2002 को हुआ। इसका रिकार्ड नगरपालिका के मृत्यु पंजीकरण में दर्ज है। जो व्यक्ति दुनिया में नहीं था उसने तीन माह बाद कैसे विभाग में कनेक्शन के लिए आवेदन कर दिया? इस प्रकार के पहलु सामने आने के बाद भी जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जिद्द पर अड़े है।

मकान दरकने से दो मासूमों की हो चुकी है मौत :

वार्ड तीन के संबंधित आवासीय क्षेत्र में जन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही 2008 में भी सामने आ चुकी है। उस दौरान मकान दरकने से एक परिवार के दो मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि परिवार के अन्य सदस्यों को लोगों ने मशक्कत से साथ मलबे से बाहर निकाला था। मामला राष्ट्रीय मानव और महिला आयोग तक पहुंचा था। इसके बाद भी जन स्वास्थ्य विभाग ने न तो सबक लिया और न अपनी गलतियों को सुधारा।


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