भारत-चीन युद्ध के दौरान ब्लैक आउट के किस्से सुनाए
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉॅकडाउन है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे ही बच्चे भी अब बुजुर्गों की कहानियों में रुचि लेने लगे हैं।
दयानंद तनेजा, सीवन : कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉॅकडाउन है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे ही बच्चे भी अब बुजुर्गों की कहानियों में रुचि लेने लगे हैं। खाना खाने के समय या शाम को खाली बैठे हुए बच्चे स्वयं बोलते हैं कि कोई ओर किस्सा या कहानी दादा दादी उन्हें सुनाएं। यह विचार थे सीवन निवासी 62 वर्षीय बिजनेस मैन रविद्र कुमार के। वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं मार्केट कमेटी सीवन के निदेशक हैं बताते हैं कि समय बहुत बलवान है। उन्होंने बच्चों को बताया की 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान ब्लैक आउट होता था। रात को कोई भी घर में रोशनी दिया या मोमबत्ती नहीं जला सकता था। जिसकी रोशनी घर के बाहर खिड़की दरवाजे से न जाए, क्योंकि हवाई हमला होने का खतरा रहता था। दिन में ही सारा काम निपटाना होता था ताकि रात में अंधेरे में कोई काम न करना पड़े। उसके बाद अब यह कोरोना वायरस का लॉकआउट जिस में अनदेखे दुश्मन से हम घर में बैठ कर अपना बचाव कर सकते है। हमें सरकार के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही दो गज दूरी बनाए रखनी है। बार-बार हाथ साबुन से हाथ धोने हैं। घर से बाहर मास्क लगा कर जाना है। पहले तो साधन भी नहीं होते थे अब सभी साधन उपलब्ध हैं। अब तो यदि दिन भर घर पर बैठना है तो टीवी है, मोबाइल है और अन्य सभी प्रकार के मनोरंजन के साधन हैं। उनकी पत्नी सरोज रानी अपना स्कूल चलाती हैं। बड़ा पुत्र आरजू अध्यापक है और उनकी पत्नी मुस्कान अध्यापिका हैं। छोटा पुत्र कमल वकालत कर रहा है। आरजू की बेटी आयरा अभी छोटी है।