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1976 में पहली बार कैथल आई थीं, उमड़ा जनसमूह

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कैथल से गहरा नाता था। वे जब भी यहां आती थी तो उनकी एक झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ जाती थी। इमरजेंसी के बाद से लेकर वर्ष 2014 तक उन्होंने पांच बार लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों का प्रचार किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 08:35 AM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 08:35 AM (IST)
1976 में पहली बार कैथल 
आई थीं, उमड़ा जनसमूह
1976 में पहली बार कैथल आई थीं, उमड़ा जनसमूह

जागरण संवाददाता, कैथल : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कैथल से गहरा नाता था। वे जब भी यहां आती थी तो उनकी एक झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ जाती थी। इमरजेंसी के बाद से लेकर वर्ष 2014 तक उन्होंने पांच बार लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों का प्रचार किया।

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इमरजेंसी के बाद वर्ष 1976 में पहली बार 24 वर्ष की आयु में वह कैथल आई थी। उन्होंने पार्टी के कुरुक्षेत्र लोकसभा से उम्मीदवार रघुबीर सिंह के समर्थन में मुख्या वक्ता के रूप में शहर के बड़ा कटहेड़ा में जनसभा को संबोधित किया था। शहर के बीचों-बीच इस स्थान पर उनका भाषण सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी।

वर्ष 2004 के विस चुनाव में भाजपा की टिकट पर कैथल हलके से रवि भूषण गर्ग प्रत्याशी थी। अब जहां लाला लाजपतराय शॉपिग मॉल बना है, वहां खाली जगह पड़ी थी, वहां सुषमा स्वराज ने रैली को संबोधित किया था। कैथल विधानसभा से दो बार चुनाव लड़ चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता रविभूषण गर्ग ने बताया कि सुषमा स्वराज युवा नेत्री के जीवन से ही भाजपा की एक अच्छी कार्यकर्ता होने के साथ स्टार प्रचारक भी रहीं। उनका व्यक्तित्व भी ऐसा था कि वह किसी कार्यकर्ता की मांग को कभी ठुकराती नहीं थी। वर्ष 1996 में शिक्षा मंत्री रहते हुए वह जनसभा में पहुंची थी तो एक गूंगे व बहरे दिव्यांग ने उन्हें पत्र देकर नौकरी की फरियाद की तो उन्होंने उसे तुरंत एक स्कूल में चपरासी पद पर नियुक्ति दे दी।

आज तक संभालकर रखे हैं शगुन के सौ रुपये

वर्ष 1980 के बाद से भाजपा मंडल अध्यक्ष रहे वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मेद्र गुप्ता ने बताया कि वर्ष 1989 में वह केंद्र में मंत्री थी। वह और उनके कुछ साथी गोशाला की भूमि पर हुए अवैध कब्जे की शिकायत पर उनके पास पहुंचे थे। उनकी बात सुनकर उन्होंने फोन पर उस समय हरियाणा के सीएम बंसीलाल को फटकार लगाई थी। गुप्ता ने बताया कि वर्ष 1989 में वह उनके घर पोते को आशीर्वाद देने आई थीं। वह 100 रुपये शगुन में देकर गई थी। जिसे आजतक संभालकर रखा है।

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