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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दास प्रथा की यादें हुई ताजा : ईश्वर ¨सह

एससीएसटी आयोग के पूर्व सदस्य व दलित नेता ईश्वर ¨सह ने कहा कि अब तक पूरे भारत वर्ष में अनुसूचित जाति व जनजाति के चार लाख छह हजार 629 मुकदमे दर्ज हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दास प्रथा याद दिला दी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Apr 2018 12:48 AM (IST)Updated: Tue, 03 Apr 2018 12:48 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दास प्रथा की यादें हुई ताजा : ईश्वर ¨सह
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दास प्रथा की यादें हुई ताजा : ईश्वर ¨सह

संस, गुहला-चीका : एससीएसटी आयोग के पूर्व सदस्य व दलित नेता ईश्वर ¨सह ने कहा कि अब तक पूरे भारत वर्ष में अनुसूचित जाति व जनजाति के चार लाख छह हजार 629 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से 6119 मुकदमों की जांच कर उन्हें झूठा करार दिया गया है। वास्तव में वे भी झूठे नहीं बल्कि दबंग लोगों के दबाव के चलते डर के मारे गवाही न देने से वे लोग प्रभावित होने पर पीछे हट जाते हैं। ईश्वर ¨सह चीका में अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि 40,510 मामले आज भी लंबित है जो इस फैसले से पूरी तरह से प्रभावित होंगे। संविधान के अनुसार धारा-395 के अंतर्गत पार्लियामेंट को प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के खिलाफ याचिका दायर करे। 20 मार्च को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एससीएसटी एक्ट के दुरुपयोग की बात कहते हुए ऐसे मामलों में तुरंत गिरफ्तारी रोक लगा दी।इस फैसले ने दास प्रथा की याद ताजा करवा दी।

भीड़ ने चीका मंडी में

बंद करवाई दुकानें

संस, गुहला-चीका : एससीएसटी एक्ट के विरोध में विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने कई घंटे तक शहर में बवाल काटा। प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार प्रदर्शनकारियों के निशाने पर थे। प्रदर्शनकारियों ने शहीद उधम ¨सह चौक को जाम कर दिया। शहर के मुख्य चारों रास्ते जाम हो गए और आवाजाही ठप हो गई। प्रदर्शनकारी कई घंटे तक सड़क पर डटे रहे और बाद में सैकड़ों लोगों की भीड़ छोटी मंडी चीका में घुस गई और जबरन दुकानें बंद करवाई। हालांकि दुकानदारों ने पहले भीड़ को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जब कुछ युवा उग्र होने लगे तो दुकानदारों ने स्वयं ही दुकानें बंद करने में भलाई समझी। पुलिस ने भीड़ से दूरी बनाए रखी, जिसके चलते कई घंटों तक बवाल काटने के बाद प्रदर्शनकारी घरों के लौट गए। इससे पूर्व विभिन्न आंबेडकर संगठनों के सदस्य देवी लाल पार्क में एकत्र हुए। यहीं इनसो, भाकपा ने भी समर्थन दिया। वहीं कलायत, पूंडरी व सीवन में भी विभिन्न संगठनों के बैनर तले दलित समाज के लोगों ने प्रदर्शन कर रोष जताया।


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