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दादा और पिता की विरासत को संभाले हैं सुनील कुमार

यदि व्यापार के मायनों से ठीक तरह से कार्य किया जाए तो पूर्वजों की विरासत को संभाला जा सकता है। इसी का एक उदाहरण करनाल रोड जाट स्कूल के नजदीक स्थित ओम हेयर सैलून का है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 06:45 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 06:45 AM (IST)
दादा और पिता की विरासत को संभाले हैं सुनील कुमार
दादा और पिता की विरासत को संभाले हैं सुनील कुमार

सुरेंद्र सैनी, कैथल : यदि व्यापार के मायनों से ठीक तरह से कार्य किया जाए तो पूर्वजों की विरासत को संभाला जा सकता है। इसी का एक उदाहरण करनाल रोड जाट स्कूल के नजदीक स्थित ओम हेयर सैलून का है। सैलून संचालक सुनील कुमार पिछले 20 साल से हेयर सैलून चल रहे हैं। उनके साथ उनका छोटा भाई पवन कुमार और चाचा जोगिद्र सिंह काम में हाथ बंटाता है। जबकि दूसरा भाई संदीप कुमार पुलिस विभाग में कार्यरत है। सुनील पिता और दादा से शुरू हुए इस कार्य को संभालते हुए परिवार की जीविका चल रहे है। सुनील बताते हैं कि दादा स्वरूप सिंह ने गांव छौत में हेयर ड्रेसर के कार्य को शुरू किया था। इसके बाद पिता ओमप्रकाश ने कुछ समय के लिए गांव में काम किया। वह कैथल शहर में आए गए थे। कैथल में चंदाना गेट, प्रताप गेट पर यह कार्य किया। वर्ष 2000 से वह करनाल रोड पर इस कार्य को कर रहे हैं। करीब 50 साल पहले इस कार्य की शुरूआत की गई थी। परिवार से 25 सदस्य एक साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं। इस कार्य से ही परिवार की जीविका चल रही है।

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आज भी आते हैं पुराने ग्राहक

दादा और पिता की दुकान पर आने वाले ग्राहक आज भी उनके पास आते हैं। चाहे घंटों तक इंतजार क्यों न करना पड़े कंटिग और सेव उनके पास ही करवाते हैं। दुकान सुबह आठ बजे से रात को दस बजे तक खुली रहती है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक दुकान पर आते हैं।

कोरोना में इस तरह से शुरू किया कार्य

संचालक सुनील कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी के दौर में कामकाज काफी प्रभावित हुआ। जब कोरोना को लेकर लॉकडाउन लगाया गया तो कामधंधा पूरी तरह से चौपट हो गया। कई माह तक खाली बैठने पर मजबूर रहे। इधर-उधर से काम चलाना पड़ा। अगस्त में काम शुरू हुआ। धीरे-धीरे काम बढ़ा। अभी भी पहले की तरह काम शुरू नहीं हुआ है। कोरोना महामारी के चलते कार्य काफी प्रभावित हुआ है। अब धीरे-धीरे स्थिति संभलने लगी है। महामारी के बीच सावधानी ही इससे बचाव का जरिया है। जिससे वह अब भी कार्य करते हुए अपना रहे हैं।


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