एनएचएम कर्मियों की हड़ताल से मरीज बेहाल, निजी एंबुलेंस चालकों की चांदी
एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के चलते बृहस्पतिवार को स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रही। गर्भवती महिलाओं व जच्चा-बच्चा को लेकर परिजनों को ज्यादा दिक्कत आई।
जागरण संवाददाता, कैथल :
एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के चलते बृहस्पतिवार को स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रही। गर्भवती महिलाओं व जच्चा-बच्चा को लेकर परिजनों को ज्यादा दिक्कत आई। हड़ताल का निजी एंबुलेंस चालकों ने जमकर फायदा उठाया। पटियाला, चंडीगढ़ व अन्य शहरों में रेफर हुए केसों पर मुंह मांगे पैसे वसूले। कहने को तो विभाग की तरफ से सरकारी एंबुलेंस चलाने के लिए चालक लगाने की बात कही गई, लेकिन एक भी एंबुलेंस सरकारी नहीं चली। लोगों ने जेब से पैसा देने पर मजबूर हुए। वहीं दूसरी तरफ एनचएम कर्मचारी यूनियन के जिला प्रधान नरेंद्र कुमार ने कहा कि सिविल सर्जन का आश्वासन पर हड़ताल खोल दी है। शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कैथल में कष्ट निवारण समिति की बैठक लेने आएंगे। इस दौरान कर्मचारियों की मांग रखी जाए। इसके बाद आगामी फैसला कर्मचारी लेंगे। एंबुलेंस विभाग के इंचार्ज सुभाष ने कहा कि हड़ताल अभी नहीं खुली है। शुक्रवार को आदेश होंगे उस अनुसार फैसला लिया जाएगा। विभाग में इस योजना के तहत 467 कर्मचारी कार्यरत हैं।
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इन विभागों के कर्मचारी रहे हड़ताल पर
तीन दिनों से कर्मचारियों की तरफ से हड़ताल की जा रही है। इसमें एंबुलेंस विभाग, आयुष विभाग, आरबीएसके, सिविल सर्जन कार्यालय, लेखा स्टाफ, स्टाफ नर्स, सूचना सहायक कंप्यूटर ब्रांच, सहित अन्य विभागों के कर्मचारी भाग ले रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि एक तरफ तो सरकार कर्मचारियों के हितों की बात करती है, लेकिन दूसरी तरफ कर्मचारियों की मांगों को लेकर अनदेखी की जा रही है। इतने वर्षो से कर्मचारी मामूली वेतन में काम करने को मजबूर हैं। आज तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा तक नहीं दिया गया है। कर्मचारियों ने जिला नागरिक अस्पताल के बाहर एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ धरना दिया।
ये हैं कर्मचारियों की मांगे
-एनएचएम कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
-जब तक पक्का नहीं किया जाता तब तक कर्मचारियों के समान वेतन दिया जाए।
-सरकार की तरफ से जो नियम एक जनवरी 2018 से कर्मचारियों को दिए गए थे उन्हें लागू किया जाए।
-कर्मचारियों को सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए।
-कर्मचारियों का वेतन जो दो विभागों से आता है उसे एक मुश्त किया जाए।
-जो भत्ते बंद किए गए हैं उन्हें दोबारा से शुरू किया जाए