सड़कों पर पशुओं का लगता जमघट, हो रहे हैं हादसे
शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। इस समस्या को दूर करना जिला प्रशासन और नगर परिषद के लिए चुनौती बना हुआ है।
जागरण संवाददाता, कैथल : शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। इस समस्या को दूर करना जिला प्रशासन और नगर परिषद के लिए चुनौती बना हुआ है। करीब एक साल से नप की ओर से पशुओं को पकड़ने के लिए कोई टेंडर नहीं लगाया गया है। एक बार ट्रॉयल बेस पर मात्र 100 पशुओं को ही पकड़ा गया था। उसके बाद से यह अभियान बंद पड़ा है।
जिला प्रशासन व नगर परिषद की लापरवाही का खामियाजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। शहर की सड़कों पर करीब 600 से 700 बेसहारा पशु घूम रहे हैं। सबसे ज्यादा खतरा सांडों से है, जिनके कारण कई बार हादसे भी हो चुके हैं। शाम के समय 20-20 पशुओं के झुंड सड़कों पर निकल आते हैं। ये पशु सड़कों के बीच में ही बैठ जाते हैं, जिससे वाहन चालक कई बार इनसे टकराकर चोटिल हो जाते हैं। अंधेरे में काले रंग के पशु दिखाई नहीं देते और अचानक से ही हादसा हो जाता है।
गोशालाओं में नहीं जगह
शहर में कपिस्थल नंदी गोशाला, कुरुक्षेत्र गोशाला, गोपाल और कृष्ण गोशाला मुख्य रूप से संचालित हैं। इनमें करीब नौ हजार गोवंश की देखभाल हो रही है। प्रशासन के सामने अब यह समस्या है कि सड़कों पर घूम रहे बेसहारा गोवंश और दूसरे पशुओं को कहां छोड़े ताकि सड़कों पर पशु न दिखाई दें। नप अधिकारियों का दावा है कि कई बार गोशाला संचालकों से पशु छोड़ने को लेकर बात हुई है, लेकिन कोई भी गोशाला संचालन पशु लेने के लिए तैयार नहीं है।
गो सेवा समिति के प्रधान महेश कुमार ने बताया कि गोशालाओं में पहले ही ज्यादा संख्या में गोवंश है। कोरोना के कारण गोशालाओं की कोई आमदनी नहीं हो रही है और चंदा भी बहुत कम आ रहा है। आस-पास के गांव के लोग रात को शहर में पशुओं को छोड़कर चले जाते हैं, जिस कारण मुख्य समस्या बनी हुई है।
जल्द किया जाए समाधान
शहरवासी राजू डोहर ने कहा कि प्रशासन बेसहारा गोवंश की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। रोजाना गाय हादसों का शिकार हो रही हैं, जिनकी कोई संभाल भी नहीं ली जाती। प्रशासन को चाहिए कि जल्द इस समस्या का समाधान किया जाए।
लगाया जाए टेंडर
मास्टर रामपाल भट्ट ने कहा कि बेसहारा पशुओं को पकड़ने का टेंडर जल्द से जल्द लगाया जाए। प्रशासन को चाहिए इस इस विषय को लेकर प्रशासन और गोशाला संचालक फैसला लें। हर साल बेसहारा पशुओं के कारण एक या दो मौत हो जाती हैं। इनके अलावा सैकड़ों लोग घायल हो जाते हैं।
पशुओं को लेने से मना कर रहा गोशाला संचालक
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि गोशाला संचालक पशुओं को लेने से मना कर रहे हैं। ऐसे में टेंडर नहीं लगाया जा रहा है। इस बारे में प्रशासनिक उच्च अधिकारियों से बातचीत की जाएगी और समाधान करवाने का प्रयास किया जाएगा।