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बस्ते के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए उठाए जा रहे कदम

पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को होमवर्क व बस्ते के बोझ से छुटकारा मिलेगा। होमवर्क के साथ साथ अब पांचवीं कक्षा तक स्कूलों में सामान्य ज्ञान व कंप्यूटर विषय जैसी किताबें नहीं पढ़ाई जाएंगी। बच्चों को अब स्कूलों में भाषा ज्ञान के साथ ही सामान्य गणित व एनवायरमेंटल स्टडीज की किताबें ही पढ़ानी अनिवार्य होंगी। यह किताबें भी या तो एनसीइआरटी (नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिग) की होंगी या एनसीइआरटी द्वारा प्रेसक्राइब्ड होंगी

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 10:18 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 10:18 AM (IST)
बस्ते के बोझ से मुक्ति दिलाने  के लिए उठाए जा रहे कदम
बस्ते के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए उठाए जा रहे कदम

विक्रम पूनिया, कैथल : पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को होमवर्क व बस्ते के बोझ से छुटकारा मिलेगा। होमवर्क के साथ साथ अब पांचवीं कक्षा तक स्कूलों में सामान्य ज्ञान व कंप्यूटर विषय जैसी किताबें नहीं पढ़ाई जाएंगी। बच्चों को अब स्कूलों में भाषा ज्ञान के साथ ही सामान्य गणित व एनवायरमेंटल स्टडीज की किताबें ही पढ़ानी अनिवार्य होंगी। यह किताबें भी या तो एनसीइआरटी (नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिग) की होंगी या एनसीइआरटी द्वारा प्रेसक्राइब्ड होंगी। हालांकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के यह आदेश कई महीने पुराने हैं, लेकिन इनको लागू इसी सत्र से किया जा रहा है। यह आदेश मद्रास हाईकोर्ट के आदेशों के बाद 2018 में जारी किए गए थे। इसके बाद इनको भारत के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लागू कर दिया गया था।

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बस्ते का भार पहले ही हो चुका निर्धारित

बस्तों का भार कम करने के लिए नवंबर 2018 में भारत सरकार ने आदेश जारी किए थे जिनके अनुसार पहली से दूसरी कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। तीसरी से पांचवीं कक्षा तक दो से तीन किलोग्राम, छठी से सातवीं तक चार किलोग्राम, आठवीं तथा नौवीं तक 4.5 किलोग्राम और 10वीं के छात्र के बस्ते का वजन पांच किलोग्राम होना चाहिए।

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अब नहीं होगी नियमों की उल्लंघना

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ रजनीकांत का कहना है कि नियमों को बारे में जागरूक करने के लिए पूरे देश में निजी स्कूल संचालकों की कार्यशाला करवाई जा रही हैं और इन कार्यशालाओं में हर चीज की बारीकी से जानकारी दी जा रही हैं। निजी स्कूल संचालक जो अब तक नियमों को नहीं मानते थे अब उन्हें यह मानने पड़ेंगे और अगर नहीं मानेंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह बच्चों के भविष्य से जुड़ा मामला है। बस्तों के बोझ व पहली कक्षा से ही छह से सात विषयों की किताबों के बोझ ने बचपन को बुरी तरह प्रभावित हुई है।

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प्राइवेट स्कूल नहीं मानते आदेश

मंत्रालय व विभाग के आदेशों को निजी स्कूल ठेंगा दिखाते रहे हैं। नए सत्र में भी ये आदेश लागू होंगे ऐसा नहीं लगता है, क्योंकि पुस्तक विक्रेताओं की दुकानें प्राइवेट पब्लिशर की किताबों से अटी पड़ी हैं। कुछ बड़े निजी स्कूलों ने तो परिणाम जारी कर नए कक्षा के लिए किताबें भी लगवा दी हैं। इनकी पहली से पांचवीं कक्षा तक की किताबों की कीमत दो से पांच हजार व बोझ 10 से 15 किलो है।

वर्जन

ये आदेश पहले भी सभी स्कूलों में दिए जा चुके है। नया सत्र शुरु होने से पहले फिर ये आदेश ना सिर्फ दिए जाएंगे, बल्कि इनको सख्ती के साथ लागू करवाया जाएगा। जो आदेशों की उल्लंघना करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

- शमशेर सिंह सिरोही, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कैथल।


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