करोड़ों के चिप घोटाले की जांच के लिए शुगर मिल पहुंची विजिलेंस टीम
शुगर मिल में अक्टूबर 2018 में सामने आया चिप घोटाला कई अधिकारियों कर्मचारियों की गले की फांस बनने वाला है। मामले में भारतीय किसान संघ (भाकिसं) के प्रयासों के बाद मंगलवार को स्टेट विजिलेंस की टीम जांच करने के लिए शुगर मिल पहुंची
जागरण संवाददाता, कैथल : शुगर मिल में अक्टूबर 2018 में सामने आया चिप घोटाला कई अधिकारियों, कर्मचारियों की गले की फांस बनने वाला है। मामले में भारतीय किसान संघ (भाकिसं) के प्रयासों के बाद मंगलवार को स्टेट विजिलेंस की टीम जांच करने के लिए शुगर मिल पहुंची। विजिलेंस इंस्पेक्टर भूपेंद्र सिंह ने एक-एक कर घोटाले की फाइलें खंगालना शुरूकिया। हालांकि अंत में टीम को निराशा ही हाथ लगी, क्योंकि मामले में मुख्य तीनों आरोपित सस्पेंड होने के कारण जांच में शामिल नहीं हो सके। टीम फाइलों के अध्ययन व शुगर मिल में सभी पक्षों को सुनने के बाद वापस लौट गई।
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कर्मचारी आपस में ही उलझे
दूसरी तरफ विजिलेंस टीम के शुगर मिल में प्रवेश करते ही घोटाले में शामिल रहे कर्मचारियों में खलबली मच गई। घोटाले की जांच को लेकर कर्मचारी दो पक्षों में बंटे हुए हैं। दोनों पक्ष टीम के सामने ही एक दूसरे से उलझ गए और बात हाथापाई तक पहुंच गई। एक पक्ष मामले की जांच को सही तरीके से करते हुए दोषियों को सजा दिलाने की मांग कर रहा था और दूसरा पक्ष सफाई देने में जुटा था।
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500 क्विंटल खोई घोटाला पहले
ही आ चुका है सामने
चिप घोटाले की जांच के बीच निदेशक मंडल ने अपने स्तर पर जांच करते हुए सैंपल के तौर पर एक या दो सप्ताह के रिकार्ड की जांच की। जांच में पाया गया कि कैथल मिल से जो खोई निकलती है और जो खोई मालिक के पास पहुंचती हैं उसमें प्रति ट्रक 10 क्विंटल का अंतर पाया गया। इस तरह से कुछ दिन के रिकार्ड में ही निदेशक मंडल को 500 क्विंटल खोई घोटाला पकड़ा था।
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ये है चिप घोटाला और ये हैं किसानों के आरोप
मामले में भारतीय किसान संघ (भाकिसं) के प्रांत के कोषाध्यक्ष रणदीप आर्य, युवा प्रमुख गुलतान नैन, जिलाध्यक्ष सतीश ग्योंग भी शामिल जांच में शामिल हुए और अपना पक्ष रखा। इनके आरोप है भ्रष्टाचार के कारण ही प्रदेश की सभी मिलें घाटे में चल रही हैं। प्रदेश की सभी मिल विशेषकर कैथल की मिल मुनाफे में है, लेकिन अधिकारी घोटालों के माध्यम से ये मुनाफा अपनी जेबों में डालते रहे हैं और इनमें कर्मचारी व सरकार के मंत्री भी मिले हुए हैं। गन्ने से सिर्फ चीनी ही नहीं बनती बल्कि हर साल करोड़ों रुपये का शीरा, खोई व मैली भी निकलती है जो बाजार में महंगे भाव पर बिकते हैं। अधिकारी चिप लगाकर और अन्य माध्यमों से इन उत्पादों का सारा पैसा डकार जाते हैं और मिल को घोटाले में दिखाते हैं। यहां तक कि स्क्रैप भी अधिकारी, कर्मचारी नहीं छोड़ते हैं। कैथल शुगर मिल में यह मामला सामने आया तो उनका संदेह यकीन में बदल गया, क्योंकि जिस कांटे पर यह चिप लगी थी इन्हीं पर इन सारे उत्पादों को तोला जाता था।
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कब-कब क्या क्या हुआ
22 अक्टूबर को भारतीय किसान संघ ने डीसी को शुगर मिल में घोटाले का अंदेशा जताते हुए शिकायत दी थी।
- 28 अक्टूबर में शुगर मिल ने तितरम थाने में कांटे में चिप मिलने पर एफआइआर दर्ज करवाई। इसके बाद किसानों ने धरने, प्रदर्शन किए और डीसी, एसपी को कई बार जांच के लिए ज्ञापन दिए।
- 29 नवंबर को कैथल आए मुख्यमंत्री से मामले की शिकायत दी। मुख्यमंत्री के सामने एसपी ने 10 दिन में आरोपितों को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया।
- 10 दिसंबर को गुस्साए किसान फिर एसपी से मिले और नोक झोंक हुई। हालांकि बाद में एसपी ने मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी थी।
- 27 दिसंबर को किसान शुगर मिल में धरने पर बैठ गए।
- 15 जनवरी को किसानों ने महापंचायत बुलाई और प्रशासन को घेरने की रणनीति बनाई।
- 16 जनवरी को डीसी ने किसानों को आश्वासन देते हुए सेल मैनेजर, सिक्यॉरिटी आफिसर व कांटा फीडर को सस्पेंड कर दिया।
- उसके बाद भी जांच पूरी नहीं होने पर किसान कृषि मंत्री से मिले। कृषि मंत्री ने मुख्य सचिव को लिखा और मुख्य सचिव ने जांच स्टेट विजिलेंस को सौंप दी।
- 19 मार्च को स्टेट विजिलेंस टीम कैथल शुगर मिल में जांच के लिए पहुंची।