न्शहर की सरकार में भ्रष्टाचार
जागरण संवाददाता, कैथल: शहर की सरकार में भ्रष्टाचार की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं। ले
जागरण संवाददाता, कैथल: शहर की सरकार में भ्रष्टाचार की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं। लेखा शाखा में तो गड़बड़ी हुआ ही है, साथ ही सफाई कर्मी भर्ती करने के लिए 30-30 हजार रुपये की रिश्वत ली जा रही है। मंगलवार को नगर परिषद कार्यालय में कार्यकारी प्रधान डॉ.पवन थरेजा की अध्यक्षता में पार्षद इकट्ठा हुए और कामकाज की मॉनिट¨रग की। इस दौरान उनके पास दो महिलाएं सफाई कर्मचारी के तौर पर भर्ती होने के लिए पहुंची। पार्षदों ने उनसे पूछा तो उन्होंने सारी कहानी बयान की। कहा, ठेकेदार के एक आदमी ने नौकरी देने के लिए 30 हजार रुपये मांगे हैं। उसकी एक जानकार ने उसे यह बताया। उससे भी बात हुई है और वह आश्वस्त है कि यह राशि देकर उसे काम मिल जाएगा।
बता दें कि जब शहर में सफाई का दिवाला निकल गया तो पार्षदों ने अपने-अपने वार्ड में अतिरिक्त सफाई कर्मचारी रखने की मांग की थी। पूर्व चेयरमैन के समय में 31 वार्डों के लिए 30 कर्मचारी अनुबंध आधार पर भर्ती करने को पार्षदों ने सहमति जताई थी। इन कर्मचारियों की भर्ती के लिए 30-30 हजार रुपये की रिश्वत चल रही है।
पार्षद नरेश मित्तल, मोहन लाल शर्मा, विनोद सोनी, हर¨जद्र ¨सह, पार्षद प्रतिनिधि एडवोकेट धर्मवीर भोला, प्रवीण ¨सगला, संजय गर्ग और दलबीर भान ने बताया कि ठेकेदार से दस दिन पहले इन कर्मचारियों की लिस्ट मांगी थी, जो आज तक नहीं दी गई है। लगाए गए कर्मचारियों का भी कहीं ब्यौरा नहीं है। नप के अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है।
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मनमर्जी का ऑडिट
नगर परिषद में इन दिनों को ऑडिट नाम की कोई चीज नहीं बची है। लेखा शाखा में रेगुलर एकाउंट आफिसर होने के बावजूद एक क्लर्क को एकाउंटेंट का काम दिया गया है, जो बिना ऑडिट के कार्यकारी प्रधान डॉ.पवन थरेजा से चेक साइन करवा रहा है। मंगलवार को उसकी एक ऐसी ही कारगुजारी पकड़ी गई, जिसमें ईओ की 55072 रुपये की सैलरी बिना ऑडिट के जारी की गई थी। डॉ.थरेजा सहित पार्षदों ने एकाउंटेंट को बैठक में बुलाकर दस्तावेजों की जांच की तो वह कोई जवाब नहीं दे पाया।
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01 से 18 प्रतिशत तक कमीशन
पार्षदों ने कहा कि लेखा शाखा में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। ठेकेदारों से अधिकारी एक प्रतिशत से लेकर 18 प्रतिशत तक कमीशन या यूं कहिए की चेक साइन करने की रिश्वत के रूप में लेते हैं। आरोप है कि पड़ोसी जिलों में अधिकतम कमीशन 12 प्रतिशत तक है, लेकिन कैथल नप में यह 18 प्रतिशत तक वसूला जा रहा है और वह भी हक समझकर।
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ठेकेदार बना सिरदर्द
डोर-टू-डोर कूड़ा इकट्ठा करने का ठेका नगर परिषद के लिए पहले दिन से सिरदर्द बना है। इसी में सबसे बड़ा घोटाला है, लेकिन इसका इलाज नहीं हो पा रहा। इस ठेके के कारण ही यशपाल प्रजापति की कुर्सी जाती रही। बैठक में कार्यकारी प्रधान डॉ.पवन थरेजा ने सफाई ठेकेदार को बुलाया था, लेकिन वह पहुंचा ही नहीं। बता दें कि ठेकेदार रोजाना कूड़ा लि¨फ्टग के नाम पर नगर परिषद को मोटा चूना लगा रहा है। कूड़े की जगह मिट्टी का वजन करवाकर बिल बनाए जा रहे हैं। 40 टन कूड़ा प्रति दिन शहर से निकलता है, लेकिन वह 70 टन के बिल बनाकर पैसे लेता रहा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि जिस धर्मकांटे पर ठेकेदार कूड़े का वजन करता है, उसे बदलवाया जाएगा। सुबह आठ बजे के बाद शहर में कहीं भी सफाई कर्मचारी नजर नहीं आते हैं।
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नौ कर्मी निशाने पर
नगर परिषद में पिछले एक साल में लगे नौ कर्मचारी कार्यकारी प्रधान और पार्षदों के निशाने पर आ गए हैं। आरोप हैं कि पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल में एक जाति विशेष के ही यह कर्मचारी भर्ती किए गए। कार्यकारी प्रधान ने कहा कि वर्ष 2015 में सरकार के आदेश आए थे कि इस तरह से कर्मचारी नहीं लगाए जा सके। इसके बावजूद यह कर्मचारी रखे गए।
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कर्मियों के हलक सूखे
पार्षदों के आक्रामक तेवर देखकर नप के कर्मचारी व अधिकारियों के हलक सूख गए हैं। खासतौर पर लेखा शाखा के अधिकारी परेशान नजर आ रहे हैं। पार्षदों ने कहा कि जब भी वे कमेटी में बैठक करने के लिए आते हैं तो तमाम अफसर व कर्मचारी जानबूझकर कार्यालय छोड़कर निकल जाते हैं। वे जवाबदेही से बचना चाहते हैं, लेकिन यह ज्यादा समय तक नहीं चलेगा।