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संस्कृत और हिदी भाषा में ही है देश की आत्मा

डा. भीम राव आंबेडकर राजकीय कालेज में उच्चतर शिक्षा विभाग के आदेशों के तहत एक दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी करवाई गई। इसका विषय व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण रहा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 06:53 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 06:53 AM (IST)
संस्कृत और हिदी भाषा में  ही है देश की आत्मा
संस्कृत और हिदी भाषा में ही है देश की आत्मा

जागरण संवाददाता, कैथल : डा. भीम राव आंबेडकर राजकीय कालेज में उच्चतर शिक्षा विभाग के आदेशों के तहत एक दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी करवाई गई। इसका विषय व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण रहा। कार्यक्रम की संयोजिका डा. सीमा रही। उन्होंने उद्घाटन सत्र में सभी मेहमानों का स्वागत किया और कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की। सरस्वती वंदना की प्रस्तुति स्वाति सरदाना ने की। संगोष्ठी में प्रथम वक्तव्य मुख्यातिथि डा. प्रीतम सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि भाषा विचारों का आदान-प्रदान है। भाषा से ही व्यक्ति का निर्माण होता है। भारतेंदु ने पंक्ति से इसे स्पष्ट भी किया। इस देश की आत्मा संस्कृत और हिदी भाषा में ही है। हिदी संपूर्ण देश की आत्मा है। हिदी भाषा का भविष्य उज्ज्वल है। कार्यक्रम में दूसरे वक्ता मध्यप्रदेश के जबलपुर के रानी विश्वविद्यालय से डा. आशा रानी ने कहा कि भाषा एक अजीत संपत्ति है। इससे हम सीखते हैं, हिदी भाषा जितनी कलात्मक है, उतनी ही वैज्ञानिक है। राष्ट्रीय संगोष्ठी में तीसरे वक्ता और विशिष्ट अतिथि महर्षि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलपति डा. श्रेयांश द्विवेदी रहे। द्विवेदी ने कहा कि हिदी का प्रयोग भाषा रूप में अधिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कविता के माध्यम से कहा प्रबल भागों का उत्थान हिदी, हमारे पूर्वज का उत्थान हिदी से हिदी के महत्व को समझाया। द्विवेदी ने हर कार्य हिदी में करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी संकल्प दिलवाया कि संगोष्ठी से जुड़े सभी प्रतिभागी हिदी में हस्ताक्षर करेंगे। प्रमुख वक्ता हिदी साहित्य भारती के अध्यक्ष डा. नरेश मिश्रा ने कहा कि हिदी दिवस एक दिन नहीं, हर दिन मनाना होगा। हमारी हिदी भाषा संस्कृत से है और उसी से हमारे संस्कार चलते हैं। समाज में बच्चों को अंग्रेजी भाषा चलन अधिक हो रहा है, इस विचारधारा को बदलना होगा। कालेज के प्राचार्य डा. ऋषिपाल बेदी ने सभी वक्ताओं का संगोष्ठी में शामिल होने पर आभार जताया।

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आ मेरी मातृभाषा, देख तेरी

हालत हम, बहुत शर्मिंदा हैं

फोटो नंबर : 39

- हिदी दिवस की पूर्व संध्या पर जवाहर पार्क में हुई साहित्य सभा की मासिक गोष्ठी

जागरण संवाददाता, कैथल : साहित्य सभा की मासिक गोष्ठी हिदी दिवस की पूर्व संध्या पर जवाहर पार्क स्थित सेवा संघ के भवन में हुई। इस गोष्ठी की अध्यक्षता डा. हरीश झंडई ने की एवं मंच संचालन डा. प्रद्युम्न भल्ला ने किया। गोष्ठी की शुरुआत सोहन लाल सोनी के इन शब्दों से हुआ, जो मेरे पास उपलब्ध है, वह कुछ मनोरम शब्द हैं।

रविद्र कुमार रवि ने कहा कि हिदी में हमको लगे, अपना सा एहसास, पढ़ते और लिखते समय, झलके इक विश्वास। गजल लेखक ईश्वर गर्ग ने अपने मन की बात कुछ इस तरह से व्यक्त की, बने विश्व की भाषा हिदी, हम सब की अभिलाषा हिदी। नीरू मेहता ने कहा, आ मेरी मातृभाषा, तुझे थोड़ा कर लूं याद, आज देख तेरी हालत हम, बहुत शर्मिंदा हैं। डा. प्रद्युम्न भल्ला ने कहा, यूं तो बहुत आसान है हिदी लेकिन इक विज्ञान है हिदी। शमशेर कैंदल ने अपने मन के भाव हिदी दिवस पर व्यक्त करते हुए कहा, हिदी व्यवस्थित है और सरल है, सख्त लहजे से दूर है।


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