शोभा की जिद के आगे छोटी पड़ी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाईं
देशभक्ति का जज्बा और 30 लाख रुपये का कर्ज लेकर गांव कुराड़ की शोभा बनवाला ने 12 अप्रैल को माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू की थी। 21 वर्षीय शोभा की जिद ही थी कि वह कर्ज लेकर मुश्किल बर्फीली चोटियों पर चढ़ पाई।
विक्रम पूनिया, कैथल : देशभक्ति का जज्बा और 30 लाख रुपये का कर्ज लेकर गांव कुराड़ की शोभा बनवाला ने 12 अप्रैल को माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू की थी। 21 वर्षीय शोभा की जिद ही थी कि वह कर्ज लेकर मुश्किल बर्फीली चोटियों पर चढ़ पाई। 29 मई को शोभा ने 8848 मीटर ऊंची इस चोटी पर भारतीय तिरंगा फहराकर अपने सपने को पूरा किया।
शोभा का सपना विश्व की सात सबसे ऊंची चोटियों को फतह करना है। वह अब तक माउंट एवरेस्ट सहित तीन चोटियों की चढ़ाई कर चुकी हैं। शोभा ने कहा कि माउंट एवरेस्ट का सफर इस बार पूर्व के मुकाबले में कहीं ज्यादा मुश्किल भरा रहा। ग्लोबल वार्मिंग का असर बर्फीली चोटियों पर साफ दिख रहा था और चोटियां खिसक रही थी। तूफान में कई लोगों की जान चली गई, लेकिन उन्होंने हौंसले नहीं हारे।
शोभा ने चोटी फतह करने के बाद पर्यावरण बचाने का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि इन चोटियों को संजोए रखना है तो हमें पेड़ पौधे लगाने होंगे। हम घर में बेटा या बेटी होने पर मिठाई के डब्बों के साथ पौधे भी बांटें और उनकी देखभाल भी बच्चों की तरह ही करें।
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नहीं मिली सरकार से मदद
शोभा बनवाला के भाई ने बताया कि वह कई मंत्रियों व विधायकों के पास गई, लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की। किसी ने थोड़े बहुत रुपये देने की बात कही, लेकिन वह नाकाफी थी। उनके पिता पाला राम व चाचा जसमेर सिंह ने उनका हौसला बढ़ाया और पैसों का बंदोबस्त करके उन्हें सपना पूरा करने के लिए भेजा।
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पिता को दो वर्ष से कैंसर
शोभा के पिता पाला राम हरियाणा रोडवेज में चालक हैं, लेकिन पिछले दो वर्ष से वे कैंसर से पीड़ित हैं। परिवार में शोभा से बड़ी दो बहने हैं रीना और कृति हैं। रीना की शादी हो चुकी है। वहीं एक भाई 19 वर्षीय हरीश बनवाला सबसे छोटे हैं। मां गृहिणी है। पिता के बीमार होने से परिवार की आर्थिक हालत ज्यादा अच्छी नहीं है।
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इन तीन चोटियों को किया फतह
शोभा बनवाला माउंट एवरेस्ट से पहले 20 नवंबर 2018 को अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलींमजारो को फतह कर चुकी हैं। उसके बाद एक जनवरी 2019 को यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रश को फतह किया। शोभा बनवाला ने पर्वतारोही बनने का सफर जवाहर इंस्टीट्यूट माउंटेनियरिग और विटर स्पोर्ट्स पहलगांव जम्मू कश्मीर में 29 अगस्त 2018से लेकर 21 सितंबर 2018 मैं माउंटेनियरिग की ट्रेनिग की और बेसिक कोर्स ऑफ माउंटेनियरिग में शोभा बनवाला ने ए ग्रेड सर्टिफिकेट हासिल किया।
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माउंट एवरेस्ट की यात्रा शोभा की जुबानी
शोभा ने फोन पर बातचीत में बताया कि माउंट एवरेस्ट को फतह करना मौत पर जीत हासिल करने जैसा है। यह दुनिया की सबसे कठिन चढ़ाई है। बर्फबारी को चीरते हुए पर्वतारोही अपनी जान की बाजी लगाते है। अचानक से बर्फबारी होना पर्वतारोही के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। गहरी खाई हैं और रात के दौरान चढ़ते समय अचानक से किसी लाश का सामने आना और उसे लांघकर आगे बढ़ना देखकर रूह कांप उठती है। ऑक्सीजन की कमी के कारण दम घुटने लगता है और शरीर में कमजोरी आ जाती है। हाथ पैर काम करना छोड़ देते हैं, लेकिन विश्व की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने का एक मात्र यही रास्ता है।
शोभा को अभियान पूरा करने में लगभग दो महीने का समय लगा। सबसे पहले बेस कैंप में रहकर प्रशिक्षण लिया और खुद को वहां के वातावरण के अनुसार ढालने की कोशिश की। इसके बाद कैंप दो में ऑक्सीजन लगाकर रखना। कैंप तीन में 36 घंटे तक आराम करने के बाद डेड जोन को पार करना और सामने दिखाई दे रहे अपने लक्ष्य को हासिल करना था। कैंप चार पार जो अंतिम पड़ाव था को पार कर तिरंगा फहराया।
शोभा ने कहा कि उस क्षण को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। अभियान में प्रदेश से ही मोहिनी नेहरा, अंकुश कसाना व विकास राणा ने भी चोटी फतह की।
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